भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में कुपोषण (malnutrition) को लेकर सरकार की भले ही कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है लेकिन विगत वर्षों में परिणाम जस के तस रहे हैं। पिछले कई वर्षों में कुपोषण पर राज्य सरकार (State Government) द्वारा हजारों रुपए खर्च किए गए लेकिन मध्यप्रदेश में 10 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार (malnourished children) है। जबकि छह लाख से अधिक बच्चे अति गंभीर कुपोषण से पीड़ित है। वही योजनाओं के संचालन के बाद भी कुपोषण के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है जबकि नेताओं- अधिकारियों का पोषण हो रहा है। यह कहना है मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता और विधायक जयवर्धन सिंह (Jaivardhan singh) का।
दरअसल विधानसभा (MP Assembly) में सरकार ने जानकारी देते हुए बताया था कि प्रदेश में 10 लाख 32 हजार कुपोषित बच्चे हैं जबकि इसमें से 6 लाख 30 हजार बच्चे अति कुपोषित वर्ग में शामिल है। जिस पर अब विधायक जयवर्धन सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। अभी हाल ही में जबरदस्त विधानसभा क्षेत्र में अपने सवालों को लेकर भी चर्चा में थे। उन्होंने राज्य पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग को पर्यावरण के मुद्दे पर घेरा था। वहीं अब उन्होंने सरकार से बढ़ते कुपोषण पर सवाल खड़े किए हैं।
इससे पहले मध्य प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र में कुपोषण को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मंत्री भरत सिंह कुशवाहा कहा कि प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बावजूद इसके नतीजे बेहतर नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में अभी भी 10 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार है।
मंत्री कुशवाहा ने बताया कि वर्तमान में 10 लाख 32 हजार 166 बच्चे कुपोषित हैं। जिनमें से 6 लाख 30 हजार 90 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं। इससे पहले विधायक चैतन्य कश्यप द्वारा प्रदेश में कुपोषण की स्थिति पर सवाल पूछा गया था। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में 0 से लेकर 5 वर्ष के 65 लाख 02 हजार 723 बच्चे है। इनमें से 10 लाख 32 हजार 166 बच्चे कुपोषित हैं। जारी आंकड़ों के मुताबिक 2 लाख 64 हजार 609 बच्चे ठिगनेपन जबकि 13 लाख सात हजार दुबलेपन के शिकार है। इसके अलावा ऐसे 6 लाख 30 हज़ार से अधिक बच्चे हैं जो उम्र के हिसाब से वजन में कमी से पीड़ित है।
बता दे कुपोषण से लड़ने के लिए मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन और अटल बिहारी बाल आरोग्य कार्यक्रम के कह दो तक सुविधाएं पहुंचाई जा रही है वहीं कुपोषण को दूर करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इस कड़ी में सरकार ने दावा किया है कि 2 साल में छह लाख 31 हजार 55 गंभीरपुर कुपोषित बच्चों का पंजीयन किया गया था जिनमें से लगभग 81% यानी 5 लाख 8 हजार 762 को कुपोषण से मुक्त करके सुपोषित किया गया है। इतना ही नहीं मंत्री भरत सिंह कुशवाहा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है।
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मध्य प्रदेश में पांच साल से कम उम्र के 42 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। उचित पोषण नहीं मिलने के कारण, वे अपनी उम्र के हिसाब से या तो अविकसित हैं या कम हैं और आदिवासी क्षेत्रों में गहरी संख्या केवल बदतर होती जाती है। मध्य प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) के साथ साझेदारी में महिलाओं को संतुलित भोजन पकाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दो सस्ते और सरल विचार प्रस्तावित किए।
‘7 दिन 7 प्लॉट’ कार्यक्रम, जहां गांव की महिलाओं को सिखाया जाता है कि कैसे अपने बगीचे में अलग-अलग सब्जियां उगाएं, सात सटीक होने के लिए, सप्ताह के प्रत्येक दिन के लिए एक। सप्ताह के अंत तक पहला प्लाट फिर से कटाई के लिए तैयार हो जाता है। इस तरह परिवारों को ताजी, सस्ती सब्जियां खाने को मिलती हैं। जिनका वे अधिक समय तक और अधिक मात्रा में उपभोग कर सकते हैं। जैसा कि बाजार से खरीदने से होता है और इसलिए बीमारी कम होती है।
विगत वर्षों में कुपोषण पर सरकार ने हज़ारो करोड़ रुपये खर्च किये हैं लेकिन परिणाम मप्र के 10 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं जिनमें से 6.30 लाख बच्चे अति गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं।
कुपोषण के बजट से केवल नेताओ और अधिकारियों का पोषण हो रहा हैं कुपोषण की स्थिति जस की तस हैं। pic.twitter.com/lWsZzvqY6x— Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) March 17, 2022