भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के 7th pay commission 4 लाख 75 हजार पेंशनर्स (Pensioners) को बड़ा झटका लगा है। दरअसल अक्टूबर की पेंशन (pension) के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना होगा। दरअसल इसकी मुख्य वजह पेंशनर्स की पेंशन बैंकों से उपलब्ध कराई जाती है जो महीने की शुरुआत में दिए जाने के प्रावधान है। ऐसी स्थिति में बैंकों को पेंशनर्स को पेंशन नवंबर महीने में भुगतान करना होगा। वहीं इसमें बदलाव के लिए बैंकों के हेड क्वार्टर से सरकार को संपर्क करना होगा।
बैंक के हेड क्वार्टर द्वारा सिस्टम अपडेट किया जाएगा उसके बाद ही पेंशन का भुगतान किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में पेंशनर्स के पेंशन की एडवांस राशि नहीं मिली है। पेंशन पर आने वाले खर्च में हर महीने 1030 करोड़ रूपए मध्य प्रदेश से 170 करोड रुपए छत्तीसगढ़ को देना है।
PM Kisan: किसानों के लिए जरूरी खबर, नहीं आई 12वीं किस्त तो यहां करें संपर्क, 13वीं किस्त पर अपडेट
वही राशि नहीं देने की वजह से पेंशनर्स की एडवांस पेंशन में तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद एक तरफ जहां कर्मचारियों को दीपावली से पहले एडवांस का भुगतान किया जा रहा है। पेंशनर्स को अक्टूबर की पेंशन के लिए 10 दिन और इंतजार करना पड़ेगा। नवंबर महीने में उन्हें पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
इसके अलावा पेंशनर्स को छत्तीसगढ़ से सहमति ना मिलने की वजह से अभी अतिरिक्त 5% महंगाई राहत का लाभ उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। हालांकि छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को 5% महंगाई भत्ते देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जिससे वहां महंगाई भत्ता 28 से बढ़कर 33 फीसद हो गया है।
जबकि छत्तीसगढ़ में फिलहाल पेंशनर्स के पेंशन और महंगाई राहत की वृद्धि को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जबकि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा भी 5% महंगाई राहत बढ़ाने के लिए सहमति पत्र लिखा गया है लेकिन उस पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई है।
वही तकनीकी पहलुओं में आ रही दिक्कत से दोनों राज्य के पेंशनर्स को हर महीने केंद्र के पेंशनर्स के तुलना में 500 से 5000 का नुकसान लग रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार अपने पेंशनर्स को 38% महंगाई राहत का लाभ दे रही है। मध्यप्रदेश में पेंशनर्स को फिलहाल 28% महंगाई राहत ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
हालांकि इसमें राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के प्रमुख भूमिका है। दरअसल 2017 में तत्कालीन रमन सिंह सरकार के मुख्य सचिव ने सहमति पत्र जारी किया था। जिसमें धारा 49 को खत्म करने के लिए मध्यप्रदेश से सहमति की मांग की गई थी। हालांकि तब मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी तरह की रूचि नहीं ली गई और पेंशनर्स का मामला अटक गया।
वहीं यदि धारा 49 को समाप्त किया जाता है तो पेंशनर्स की पेंशन और महंगाई राहत पर देय राशि के खर्च का वहन अकेले मध्य प्रदेश को करना होगा। ऐसे में पूरे के पूरे 1200 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश को भी देने होंगे। वहीं छत्तीसगढ़ के 170 करोड़ रुपए बच जायेंगे।