Fri, Dec 26, 2025

Geeta Dutt Birthday : उदासी की विह्वल पुकार, गीता दत्त के जन्मदिन पर विशेष

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
Geeta Dutt Birthday : उदासी की विह्वल पुकार, गीता दत्त के जन्मदिन पर विशेष

Geeta Dutt Birthday Special: कभी उदासियों की झील के ख़ूब भीतर से एक आवाज़ गूंजती है, ‘मेरे हमनशीं मेरे हमनवां मेरे पास आ, मुझे थाम ले’। उफ़… कैसी थरथरा देने वाली बेचैनी, कितनी गहरी पीड़ा, कितनी विह्वल पुकार। यही आवाज़ कभी कहती है—

‘जां ना कहो अंजान मुझे/ जान कहां रहती है सदा/
अनजाने क्‍या जाने/ जान के जाये कौन भला/ मेरी जां/
मुझे जां ना कहो मेरी जां’

कभी गीता की आवाज़ की उदासी पुकारती है–
‘ठहरो ज़रा-सी देर तो/
आखिर चले ही जाओगे
तुम्‍हीं कहो करेंगे क्‍या
याद जो हमको आओगे’।

गीता ज़िंदगी की उजाड़ कड़ियल धरती पर उगा एक उदास गुलाब हैं। अपने अकेलेपन और संत्रास में डूबी एक आवाज़ जो किसी किरदार से भी ज़्यादा अपने लिए गा रही है। अपनी गायकी में वो ख़ुद एक किरदार है, किरदार का दर्द उसका अपना दर्द है। गीता इस मामले में सारी गायिकाओं से अलग और ज़्यादा मौलिक, ज़्यादा ख़ालिस नज़र आती हैं। गीता की आवाज़ का वीतराग मीना कुमारी पर कितना फबता है। यूं लगता है मानो मीना ही गीता हैं और गीता ही मीना हैं–

जो मुझसे अंखियां चुरा रहे हो
तो मेरी इतनी अरज भी सुन लो
तुम्‍हारे चरणों में आ गयी हूं
यही जियूंगी, यहीं मरूंगी।।

ज़िंदगी के गाढ़े उदास लम्‍हों में हमें किसी की ज़रूरत होती है जो हमें थाम ले। मूर्त या अमूर्त… कोई भी हो, बस जो थाम ले। उदास लम्‍हों में कुछ आवाज़ें हमें थाम लेती हैं। उनके कंधों पर सर रखकर हम रो सकते हैं। इस बेफिक्री के साथ कि हमारे इन आंसुओं को दुनिया की चहल-पहल और चमक-दमक देख ना पाये। किसी को पता ना चले कि हम कमज़ोर हुए थे, बस तब किसी आवाज़ ने हमें थाम लिया था-

जायेंगे कहां, सूझता नहीं
चल पड़े, मगर रास्‍ता नहीं
क्‍या तलाश है, कुछ पता नहीं
बुन रहे हैं दिल ख़्‍वाब दम-ब-दम
वक्‍़त ने किया क्‍या हसीं सितम।।

गीता की आवाज़ वो आवाज़ है जिसे अपने उल्‍लास से ज़्यादा अपनी उदासी के लिए प्‍यार किया जाता रहेगा आज गीता रॉय का जन्‍मदिन है। इस उदास आवाज़ को हमारा प्‍यार।

(आरजे, कवि, कॉलमिस्ट, ब्लॉगर, स्टोरी टेलर यूनुस ख़ान की फेसबुक वॉल से साभार)