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Geeta Dutt Birthday : उदासी की विह्वल पुकार, गीता दत्त के जन्मदिन पर विशेष

Geeta Dutt Birthday Special: कभी उदासियों की झील के ख़ूब भीतर से एक आवाज़ गूंजती है, ‘मेरे हमनशीं मेरे हमनवां मेरे पास आ, मुझे थाम ले’। उफ़… कैसी थरथरा देने वाली बेचैनी, कितनी गहरी पीड़ा, कितनी विह्वल पुकार। यही आवाज़ कभी कहती है—

‘जां ना कहो अंजान मुझे/ जान कहां रहती है सदा/
अनजाने क्‍या जाने/ जान के जाये कौन भला/ मेरी जां/
मुझे जां ना कहो मेरी जां’


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।