डेस्क रिपोर्ट। दशहरा यानि विजयादशमी इस दिन रावण का वध करने के बाद उसे जलाया जाता है माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजय उत्सव मनाया जाता है, वही दूसरी तरफ़ मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। इस दिन श्रीराम ने लंका पर विजय ध्वज फहराया था और सुग्रीव का राजा घोषित किया गया था। इसके साथ ही इस खास दिन मान्यता है कि वाहन पूजा भी की जाती है। आज हम आपको बताते है कि आखिर दशहरे के दिन वाहन की पूजा क्यों की जाती है।
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विजयादशमी पर क्यों करते हैं वाहन पूजा :
1. दरअसल लंका विजय के बाद श्रीराम ने उन सभी लोगों का आाभर प्रकट किया जिन्होंने उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया था। फिर चाहे वह जड़ हो या चेतन। पशु हो या पक्षी। सभी के प्रति उन्होंने कृतज्ञता प्रकट की थी।
2. चूंकि श्रीराम ने सभी जड़ चीजों के प्रति भी आभार प्रकट किया था। जड़ चीजों में उनके अस्त्र शस्त्र, रथ और सभी तरह के वाहन का भी उन्होंने आभार प्रकट किया क्योंकि इनके बगैर युद्ध नहीं लड़ा जा सकता था। वाहन की बात करें तो रथ, हाथी और अश्व सभी वाहन ही होते थे।
3. आज हम जो अपने वाहनों की पूजा करते हैं वह प्रकारांतर से उसी ‘रथ-पूजन’ का पर्याय मात्र है। प्राचीन भारत में रथ-पूजन, अश्व-पूजन, शस्त्र-पूजन कर इस परंपरा निर्वाह किया जाता था। वर्तमान में इस परंपरा का स्वरूप परिवर्तित होकर वाहन-पूजन के रूप में हमें दिखाई देता है।
4. सेना के वाहन, पुलिस विभाग के वाहन, आवागमन के यात्री वाहन, खुद का वाहन आदि सभी हमारे जीवन को चलाते हैं। हम अपने वाहनों को अच्छे से धोते हैं और उसे फूलमाला पहनाकर उसकी पूजा करते हैं। यह वाहन हमारा साथी है। इसके बगैर हम कहीं भी आ जा नहीं सकते हैं। अत: दशहरा का दिन होता है इसके प्रति आभार प्रकट करना। आभार प्रकट करने या कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही हमें इसकी पूजा अर्चना करते हैं।