जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने अतिथि शिक्षकों (MP Guest Teachers) को बड़ी राहत दी है। दरअसल एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान जबलपुर हाईकोर्ट ने सेवारत अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के साथ राज्य शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन सहित अन्य को नोटिस (Notice) जारी कर दिया है। इसमें उन्हें उचित जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने शहडोल के पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में सेवारत अतिथि विद्वानों के मामले की सुनवाई की। इस दौरान याचिकाकर्ता गीता मिश्रा की तरफ से वकील वृंदावन तिवारी ने पक्ष रखा। जिसमें दलील देते हुए उन्होंने कहा कि पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल की स्थापना 2016 में हुई है लेकिन अब तक वहां पर नियमित नियुक्तियां नहीं की जा रही है।
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इतना ही नहीं वृंदावन तिवारी ने दलील देते हुए कहा कि 2016 से अब तक पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वानों और प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कर्मचारी से छात्रों के प्रशिक्षण और शिक्षण का कार्य करवाया जा रहा है। वहीं इसी विश्वविद्यालय में याचिकाकर्ता 4 साल से अतिथि विद्वान के तौर पर सेवा दे रही हैं लेकिन अब नए सिरे से अतिथि विद्वानों की नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर याचिकाकर्ता सहित अन्य की सेवा जाने का संकट पैदा हो गया है।
हाई कोर्ट में दलील देते हुए वकील ने कहा कि 2019 से याचिकाकर्ता शहडोल में सेवा दे रही है जबकि उनकी नियुक्ति मेरिट के आधार पर की गई है। बावजूद इसके 6 जून 2022 को जारी विज्ञापन में उन्हें पदों पर नवीन नियुक्तियां की जा रही है। जिनमें याचिकाकर्ता सहित अन्य अतिथि विद्वान सेवा दे रहे हैं।
हाई कोर्ट में वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 21 अप्रैल 2022 के आदेश में साफ किया गया कि एक अतिथि विद्वान को दूसरे अतिथि विद्वान से नहीं बदला जा सकता है। बावजूद इसके शहडोल विश्वविद्यालय में ऐसी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। वहीं यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदेय से भी अतिथि विद्वानों को वंचित रखा जा रहा है। जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन सहित विश्वविद्यालय प्रशासन अन्य को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब तलब किया। वही अंतरिम आदेश देते हुए पहले से सेवारत अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक लगा दी है।