भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education department) द्वारा गाइडलाइन (guideline) जारी की गई है। दरअसल महाविद्यालय MP College अतिथि विद्वानों (Guest Teachers) के कार्य दिवस और अनुपस्थिति को लेकर अब विभाग (department) ने सख्त रुख अपनाया है। दरअसल 17 दिसंबर 2019 के आदेश का हवाला देते हुए विभाग ने प्राचार्य को स्पष्ट निर्देश दिए है। निर्देश के मुताबिक यदि कोई अतिथि विद्वान किसी भी कारण महाविद्यालय में अनुपस्थित रहता है तो प्राचार्य द्वारा उसकी सेवा समाप्त नहीं की जा सकती।
उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए सभी प्राचार्य को दिशा निर्देश दिए। वहीं जारी हुई गाइडलाइन के मुताबिक यदि कोई अतिथि विद्वान किसी भी कारण विद्यालय में अनुपस्थित रहता है तो उसे नोटिस जारी किया जा सकता है। उनसे सवाल-जवाब किए जा सकते हैं लेकिन अतिथि विद्वानों को भी अपने पक्ष रखने की छूट दी जानी चाहिए।
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वही अतिथि विद्वानों के अपना पक्ष रखे जाने पर भी यदि स्पष्टता नहीं रहती है तो कमेटियां एडीए स्तर पर तैयार की जाएगी। जो मामले को गंभीरता से देखेगी। वही गंभीरता से देखने के बाद भी यदि इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाता तो मामला प्रमुख सचिव स्तर तक पहुंचेगा। जिसके बाद विभाग द्वारा स्थानों पर कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में विभाग ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि कई बार बिना गलती के प्राचार्य द्वारा रिक्त पदों के विरुद्ध सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्त कर दी जाती है। ऐसे में कई अतिथि विद्वान इसकी शिकायत कमिश्नर और प्रमुख सचिव से कह चुके हैं। जिसके बाद जमीनी हकीकत पता चलने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। विभाग का कहना है कि अतिथि विद्वानों के खिलाफ हो रहे तानाशाही रवैया पर अंकुश लगाया जाएगा और प्राचार्य द्वारा के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
मामले में अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष देवराज सिंह का कहना है कि अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण पर शासन प्रशासन को जल्द विचार करना चाहिए। अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित रहें। इस मामले में पॉलिसी जरूरी है। अतिथि विद्वानों के लिए एक व्यवस्थित नीति बनाकर उनके भविष्य को सुरक्षित किए जाने का आग्रह विद्वान महासंघ के अध्यक्ष देवराज सिंह ने राज्य शासन से किया है।