यदि किसी हादसे में श्रम कार्ड धारकों की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को 2 लाख रुपए भी उपलब्ध कराए जाते हैं। वही मजदूरों के विकलांग होने पर उन्हें 1 लाख रुपए की सहायता राशि मिलती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के सबसे पुराने मंत्रालयों में से एक ने पिछले साल ई-श्रम पोर्टल विकसित किया था, जो असंगठित श्रमिकों (NDUW) के एक राष्ट्रीय डेटाबेस को बनाए रखता है। जिसे आधार से जोड़ा जाता है।
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पोर्टल में नाम, व्यवसाय, पता, व्यवसाय का प्रकार, शैक्षिक योग्यता, व्यापार और परिवार के विवरण आदि का विवरण शामिल है ताकि उनकी रोजगार योग्यता की अधिकतम प्राप्ति हो सके और उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभों का विस्तार किया जा सके। यह असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है जिसमें प्रवासी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक आदि शामिल हैं।
ई-श्रम पोर्टल पर कौन पंजीकरण कर सकता है?
- एक असंगठित कार्यकर्ता (UW)।
- उसकी उम्र 16 से 59 साल के बीच होनी चाहिए।
- कोई व्यक्ति जो ईपीएफओ/ईएसआईसी या एनपीएस (सरकारी वित्त पोषित) का सदस्य नहीं है।
बता दें कि इस योजना में अब तक करीब 27 करोड़ से ज्यादा लोगों के रजिस्ट्रेशन कराए गए हैं। वहीं सरकार द्वारा उनके बैंक खाते में हर महीने 500 से 1000 रूपए तक भेजे जाते हैं। आगे सरकार की योजना के तहत अब श्रम कार्ड को राशन कार्ड से भी जुड़े जाने पर विचार किया जा रहा है। जिसके बाद देश में किसी भी राशन की दुकान से श्रम कार्ड धारकों को राशन उपलब्ध कराए जाएंगे हालांकि अभी इस योजना पर विचार विमर्श किया जा रहा है।
क्या बच्चे ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं?
16 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे पंजीकरण करा सकते हैं और इस सरकारी योजना का लाभ उठा सकते हैं।
ई-श्रम पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
- आधार नंबर
- मोबाइल नंबर आधार से लिंक
- IFSC कोड के साथ बचत बैंक खाता संख्या
कोरोना महामारी के दौरान, देश में करोड़ों मजदूरों के लिए सरकार ने ई-श्रमिक योजना शुरू की और इसे आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ई-श्रम पोर्टल विकसित किया। सरकार का लक्ष्य देश के 38 करोड़ मजदूरों को पोर्टल से जोड़ना है। इस योजना से अब तक 26 करोड़ से ज्यादा मजदूर जुड़ चुके हैं।
कोई भी कार्यकर्ता जो असंगठित क्षेत्र में एक गृह कार्यकर्ता, स्वरोजगार कार्यकर्ता या मजदूरी कर्मचारी है, जिसमें संगठित क्षेत्र का एक कर्मचारी भी शामिल है जो ईएसआईसी या ईपीएफओ का सदस्य नहीं है या सरकार का नहीं है। वैसे कर्मचारी को असंगठित श्रमिक कहा जाता है।