सरकार की बड़ी तैयारी, तैयार होंगे बर्थ वेटिंग होम, 1900 से अधिक गांवों को मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राज्य सरकार (MP Government) द्वारा नई तैयारी की जा रही है। जिसके तहत मध्यप्रदेश के दूरस्थ के गांव के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा। दरअसल कई गंभीर मरीज को अस्पताल (hospital) लाने और गर्भवती महिलाओं के लिए एंबुलेंस की (ambulance) सुविधा गांव तक नहीं पहुंच पाती है। जिसके कारण प्रसव आदि के लिए गर्भवती महिलाओं को हाय रिस्क पर घर पर डिलीवरी करवानी पड़ती है।

जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान पर बनाती है कई बार हालत बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में प्रसूता और नवजात की मौतों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके लिए डिलीवरी पॉइंट्स पर प्रसव की सुविधा वाले अस्पताल यानी की बर्थ वेटिंग होम बनाए जाएंगे। इनमें गर्भवती महिलाओं को करीब 1 हफ्ते पहले भर्ती कर इनकी निगरानी की जाएगी ताकि प्रसव के दौरान इनके होने वाले खतरे को कम किया जा सके।

इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिलीवरी की सुविधा वाले अस्पताल में बर्थ वेटिंग होम तैयार करवाने की तैयारी की जा रही है। हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया, मोटापा, अति कम वजन जैसी समस्याओं से कई हाई रिस्क गर्भवती महिलाएं जूझ रही है। ऐसे में इनकी डिलीवरी के दौरान जांच और बच्चे की मौत के रस को कम करने के लिए बर्थ वेटिंग होम तैयार किया जाएगा।

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डिलीवरी पॉइंट के मेटरनिटी विंग ए प्रसूति वार्ड में 6 से 10 बिस्तर के बर्थ वेटिंग होम तैयार किए जाएंगे। हाय रिस्क गर्भवती महिला को प्रसव की तारीख से 1 सप्ताह पहले उसने भर्ती कर उनकी देखभाल की जाएगी। वहीं डिलीवरी के दौरान अचानक बिगड़ने वाली स्थिति को रोकने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है। गंभीर समस्या वाली गर्भवती को भर्ती किया जाएगा।

जिसमें हाई बीपी, पहले की डिलीवरी सिजेरियन से हुई हो, ऐसी महिलाओं के अलावा गंभीर एनीमिया, एपीएच, BoH और 35 वर्ष से अधिक आयु वाली महिला सहित पिछले प्रसव की जटिलताएं और चिकित्सीय जटिल हृदय रोग, हेपेटाइटिस, मलेरिया आदि वाली महिलाओं को इसमें शामिल कर उन्हें सुविधा दी जाएगी।

दरअसल प्रदेश के 1900 से अधिक गांव ऐसे हैं। जहां एंबुलेंस पहुंच पाने की सुविधा नहीं है। इसमें बड़वानी में 278 गांव जबकि बेतूल में 229 गांव शामिल है। साथ ही छतरपुर में 132 , धार में 84, मंडला 73 , विदिशा 70 सहित नर्मदा पुरम के 67 , खरगोन के 66 , श्योपुर के 56 , पन्ना के 53, सतना भिंड के 40 , देवास 36 , झाबुआ के 32 , सीहोर के 28 , अनूपपुर के 26 , नीमच छिंदवाड़ा के 25 , सिवनी के 24 , अलीराजपुर 18, रतलाम के 16 , इंदौर के 15 , अशोकनगर के 14 और भोपाल उज्जैन के 13 सहित मंदसौर दतिया के 9, उमरिया शाजापुर डिंडोरी के 6 और राजगढ़ के 5 गांव ऐसे हैं, जहां एंबुलेंस की सुविधा तत्काल रुप से नहीं पहुंच पाती है।

आए आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा नवजात और प्रसूता की मौत के मामले में मध्य प्रदेश शीर्ष पर है। ऐसे में हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बाहर लाने के लिए कई जिलों की लापरवाही सामने आ रही है। एनएचएम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 51.3% गर्भवती महिला का ही पंजीयन करवाया जा रहा है। वहीं कई जिले फिसड्डी साबित हो रहे हैं। जिसमें शिवपुरी के अलावा पन्ना, टीकमगढ़, भिंड, बुरहानपुर, दतिया, आगर मालवा, छतरपुर और अशोकनगर शामिल है। इसके अलावा शिवपुरी, पन्ना, टीकमगढ़, उमरिया, दतिया, अगर-मालवा, अशोक नगर, विदिशा, कटनी, उज्जैन में सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु और कुपोषण के मामले सामने आए हैं।


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