जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में एक बार फिर से Employees-head masters प्रमोशन (promotion) को लेकर मामला हाईकोर्ट (high court) पहुंच गया है। शासकीय स्कूल (Government School) में पदस्थ हेड मास्टर की याचिका पर हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग (School Education department) को नोटिस (notice) जारी कर जवाब मांगा है। वही प्रावधान के मुताबिक प्रमोशन नहीं दिए जाने पर जवाब तलब किए गए है।
दरअसल मध्य प्रदेश के शासकीय स्कूल में पदस्थ हेड मास्टर की याचिका पर स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव के युगल पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने शासन की चार अन्य अधिसूचना की वैधानिकता को चुनौती देने के मामले में राज्य शासन सहित उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर दिया है।
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जानकारी की माने तो छिंदवाड़ा निवासी श्रीकांत शर्मा सहित 11 हेड मास्टर की ओर से अधिवक्ता संतोष आनंद ने अपना पक्ष रखा। अधिवक्ता संतोष आनंद ने अपनी पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति मध्य प्रदेश स्कूल भर्ती और पदोन्नति नियम 1982 के तहत हुई थी। जिसमें प्रावधान था कि शिक्षक होता है तो वह हेड मास्टर लेक्चरर के पद पर प्रमोट हो सकता है। इसके तहत Two way पदोन्नति के नियम मान्य किए गए थे।
वही इस नियम के तहत हेड मास्टर को हाई स्कूल लेक्चरर को हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पद पर पदोन्नति दी जाती थी। 2005 तक इस नियम को लागू करने के बाद 2016, 2017 और 18 में कई अधिसूचना जारी की गई। साथ ही प्रमोशन के नियम बदल दिए गए। नियम बदलाव के बाद नए नियम के तहत हेड मास्टर को ड्राइंग में डाल दिया गया और उन्हें प्रमोशन देने से वंचित रखा गया है।
जिसके बाद वकील और याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस नियम के तहत हेड मास्टर्स को भर्ती किया गया था। उसी नियम के तहत उन्हें प्रमोशन दिया जाए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव सहित राज्य शासन को नोटिस जारी कर दिए हैं। वहीँ High court सवाल किए गए हैं कि हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल हेड मास्टर को प्राचार्य के पद पर प्रमोट क्यों नहीं किया जा रहा है।