Bihar Politics : कुर्सी के लिए ‘सुशासन बाबू’ ने लिया पलटासन का सहारा

रायपुर, कृष्णमोहन झा। नीतिश कुमार (Nitish Kumar) 2004 में पहली बार बिहार की जदयू (JDU) और भाजपा (BJP) की गठबन्धन सरकार के मुख्यमंत्री (CM) बने थे। तब वे पूर्ववर्ती राजद सरकार (RJD) के कार्यकाल में पनपे अकूत भ्रष्टाचार (corruption) और निरंकुश समाज विरोधी तत्वों पर अंकुश लगाकर राज्य की जनता की नजरों में Bihar Politics में सुशासन बाबू बन गए थे लेकिन समय बीतने के साथ ही सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने सुशासन बाबू के रूप में अर्जित अपनी सारी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया।

नैतिकता और सिद्धांत आज उनके लिए कोई मायने नहीं रखते।नीतिश कुमार ने आज एक बार फिर उसी राजद से हाथ मिला लिया है जिसके शासन काल को कभी वे खुद जंगल राज कहा करते थे।यह निःसंदेह आश्चर्यजनक है कि नीतिश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड की सीटें भाजपा से कम होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पद का जो गौरव मिला वह भी उनके अहं को संतुष्ट नहीं कर सका। यहां यह उल्लेख करना ग़लत नहीं होगा कि 2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता के आधार पर उन्हें तत्कालीन चुनावों में भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने का फैसला किया था।


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Kashish Trivedi

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