भिंड, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में Corona दूसरी लहर (corona third wave) ने काफी तबाही मचाई थी। इसमें कई बच्चों के माता पिता की संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी। हालांकि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार (Shivraj government) ने अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण के लिए उनके सिर पर हाथ रख सहारा देने की घोषणा की थी। वही कुछ बच्चे से भी है, जिनके सिर से मां पिता का साया उठने के बाद वह भीख मांग कर गुजारा करने को मजबूर है। हालांकि प्रशासन की दृष्टि में मामला आने के बाद कलेक्टर ने उन बच्चों के लिए उचित व्यवस्था की है।
दरअसल भिंड (bhind) जिले के अमहा के राघवेंद्र और गिरिजा बाल्मिक की मौत हो गई थी। राघवेंद्र गिरिजा बाल्मीकि की मौत के बाद उनके 5 बच्चे अपनी गुजर-बसर करने के लिए मजबूर है। दरअसल बच्चे सड़कों पर भीख मांग कर अपना पेट पाल रहे हैं। इन बच्चों पर न तो सीएम बाल कल्याण योजना की सहायता राशि पहुंच रही है। ना ही कोई सामाजिक संस्थान इनका सहारा बन रही है। गांव के लोग बच्चे की गुजर-बसर करने के लिए किसी तरह उनकी मदद कर रहे हैं।
जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बच्चों के माता-पिता की मौत कोरोना से नहीं हुई हैं। जहाँ पिता की मौत कोरोना शुरू होने से पहले हो गई थी। वहीँ माता की मौत उसके कुछ महीने बाद उरई में हुई थी। अभी वर्तमान में सबसे छोटे बच्चे की आयु 8 से 10 महीना है। बच्चों का परिवार उरई में निवास करता था। बच्चों के पिता की मृत्यु 2020 मार्च में हुई थी। वहीँ माता की मृत्यु प्रसव उपरांत हुई थी।बच्चों की स्थिति नाजुक है।उन्हें हर संभव मदद दी जा रही है। बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति द्वारा निगरानी की जा रही है।
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जानकारी के मुताबिक राघवेंद्र और गिरिजा बाल्मीकि के बच्चों में सबसे बड़ी 7 वर्षीय बेटी निशा है, जो भीख मांग कर अपने भाई-बहन का गुजर-बसर कर रही है। निशा के अनुसार उनके पिता रिक्शा चालक थे, जिनकी फरवरी 2021 में मौत हो गई। वही निशा के अलावा उनके भाई बहन में बाबू राजा 5 वर्षीय, 3 वर्षीय मनीषा, 2 वर्षीय अनीता और 8 महीने का गोलू भी शामिल है। शुक्रवार को मामला सामने आने के बाद भिंड कलेक्टर सतीश ने बच्चों को बाल गृह भिजवा दिया है। वहीं उन्होंने कहा कि अब इन बच्चों की जिम्मेदारी पर शासन द्वारा उठाई जाएगी।
मामले में कलेक्टर का कहना है कि माता पिता के निधन के बाद बच्चे भीख मांग कर गुजारा कर रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी हमें नहीं थी। हमें आज ही इस बात की जानकारी मिली है। वही पूरा मामला संज्ञान में आने के बाद बच्चों को बाल गृह भेज दिया गया है। वहां खाने पीने की व्यवस्था रहेगी। collector का कहना है कि हमें पूर्व में बच्चों को उनके दादा के पास देखभाल के लिए भेजा था लेकिन दादा बच्चों की देखभाल करने में असफल रहे। जिसके कारण प्रशासन खुद बच्चों की देखभाल करेगा। साथ ही इन बच्चों को स्कूल में दाखिला करवाने की सभी व्यवस्था की जाएगी, अन्य सभी योजनाओं का लाभ बच्चों को पूर्ण रूप से दिया जाएगा।