डेस्क रिपोर्ट। आमतौर पर मुँह के छाले (mouth ulcer) एक सामान्य समस्या है, यह कभी ना कभी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को होती रहती है, यह छाले गालों के अन्दर, जीभ पर और होंठो के अन्दर की तरफ होते हैं। यह सफेद या लाल घाव की तरह दिखाई देते हैं। कई बार ज्यादा मीठा खाने से यह छाले होते है लेकिन कभी कभी बिना किसी वजह के यह छाले गाल के अंदर घाव बना देते है और फिर बेहद तकलीफ देते है, इन छालों की वजह से मुँह में जलन तथा कुछ भी खाने में परेशानी होती है तथा कईं बार मुँह से खून भी निकलता है। समय पर इसका इलाज न कराने से यह कभी-कभी कैंसर का कारण भी बन जाता है। यह छाले कैसे ठीक किए जा सकते है आज हम आपको बताते है कुछ घरेलू उपाय।
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आमतौर पर आयुर्वेद में मुँह के छालों की समस्या को मुखपाक कहा गया है। अधिक तीखा, पेट की खराबी या कब्ज होने पर यह स्थिति देखी जाती है इसमें जलन तथा कुछ भी खाने में बहुत कठिनाई होती है। मुँह में छाले पित्त दोष होने के कारण होता है। आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा पित्त दोष को संतुलित करके छालों का आना कम किया जाता है।
अधिकांश लोग मुंह के छाले होने का कारण जाने बिना ही उसकी दवा या घरेलू उपाय खोजने लगते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप छालों का सही कारण नहीं जान रहे हैं तो इसका इलाज करना काफी मुश्किल होगा। आमतौर पर जैसा ऊपर बताया गया है कि पित्त दोष के असंतुलन के कारण मुँह में छाले पड़ते हैं। इसके अलावा मुँह के छाले पड़ने के और भी कारण होते हैं।
छाले होने का कारण
पेट की खराबी या कब्ज रहना।
दाँतों को कड़क बालों वाले ब्रश से साफ करना या चबाते समय गलती से गाल का कट जाना।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया की मौजूदगी की वजह। विटामिन बी-12, जिंक, फोलिक एसिड और आयरन की शरीर में कमी होना।
अत्यधिक तला-भुना एवं मिर्च-मसाले वाला भोजन करना।
महिलाओं में मासिक धर्म के समय होने वाले हार्मोन्स में बदलाव के कारण।
टूथपेस्ट या माउथवॉश का प्रयोग करना जिसमें सोडियम लॉयरल सल्फेट (Sodium Lauryl Sulfate) मौजूद हो।
कुछ लोगों में किसी विशेष खाद्य सामग्री के प्रति संवेदनशीलता या एलर्जी देखी जाती है जैसे अण्डा, स्ट्रॉबेरी, नट्स या तीखा भोजन।
एस्पिरिन या एल्कोहल जैसे रसायन हमारे मुँह की श्लेष्मा झिल्ली के सम्पर्क में आने से उसको परिगलित (necrotic) करते हैं जिससे यहाँ छाले बन सकते हैं।
इसके अलावा कुछ बीमारियों के कारण भी मुँह में छाले पड़ते हैं। लम्बे समय से कब्ज की समस्या रहने वालों में बार-बार मुँह के छाले हो जाते हैं। आंत्र के रोग जैसे क्रोन रोग (Crohn’s disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)होने पर। सीलिएक रोग (Celiac disease) नामक आंत्र विकार, इसमें व्यक्ति को ग्लूटेन के प्रति संवेदनशीलता होती है, ग्लूटेन अनाज में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पावर) का कमजोर होना।
एच.आई.वी. होना, जिससे रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
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छाले ठीक करने के उपाय
मिर्च एवं अधिक मसाले युक्त खाने से परहेज करें।
बहुत ज्यादा च्युइंगम चबाने की आादत के कारण भी माउथ अल्सर होते हैं। अत: इससे बचे।
विटामिन-सी से युक्त फलों एवं सब्जियों का सेवन करें।
दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे दही, मक्खन, पनीर और दूध का अधिक सेवन करें ताकि शरीर में विटामिन-बी की कमी न हो जो कि माउथ अलसर होने का एक कारण है।
भोजन के साथ सलाद के रूप में कच्चे प्याज का इस्तेमाल करें।
पोषक तत्वों से युक्त आहार करें क्योंकि विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, जिंक, आयरन की कमी की वजह से भी छाले होते हैं।
प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी पिएँ।
कब्ज की समस्या से बचाव करें इसलिए भोजन में रेशेदार सब्जियों एवं फलों का सेवन करें।
ग्रीन-टी का सेवन करें।
मुँह की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
दाँतों की सफाई नरम वालों वाले टूथब्रश से करें।