बिजली कंपनियों को EC के निर्देश, वोटिंग और काउंटिंग के दौरान बिना रुकावट हो बिजली सप्लाई

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव (MP Urban body Election) का प्रचार प्रसार अब थम चुका है। हर प्रत्याशी जीत हासिल करने के लिए पूरे दमखम से मैदान में उतरा और जनता को विश्वास दिलाया कि हम सबसे बेहतर हैं। प्रत्याशियों के साथ प्रदेश के दिग्गज नेताओं ने की प्रचार प्रसार में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की की जीत उनकी ही पार्टी की हो।

हालांकि ऊंट किस करवट बैठेगा। अभी यह नहीं कहा जा सकता है। इसका फैसला कल यानी 6 जुलाई और 13 जुलाई के दिन जनता जनार्दन द्वारा दिए गए वोटों (voting) से सुनिश्चित किया जाएगा। वोटिंग के लिए समूचे मध्यप्रदेश में इलेक्शन कमीशन (Election commission) द्वारा खासा इंतजाम किए गए हैं। जिससे चुनाव प्रक्रिया (Election process) में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न ना हो।

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इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुए इलेक्शन कमीशन ने आज मध्य प्रदेश बिजली विभाग को निर्देशित किया है कि वोटिंग और काउंटिंग के दौरान किसी भी प्रकार से बिजली सप्लाई में बाधा उत्पन्न ना हो। लगातार हो रही बारिश और उस वजह से होने वाली कटौती को मद्देनजर रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग में विभाग को यह भी निर्देशित किया है। जिन जगहों पर कटौती होने की संभावनाएं हैं। वहां वैकल्पिक इंतजाम किए जाएं। निर्वाचन आयोग ने साफ तौर पर कहा है की वोटिंग और मतगणना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा बिजली कटौती की वजह से उत्पन्न नहीं होना चाहिए।

आपको बता दें चुनावों में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि ईवीएम को कार्य करने के लिए बिजली सप्लाई की जरूरत नहीं होती है वह बैटरी पर काम करती है लेकिन बारिश के मौसम में बादलों के चलते बिना बिजली वोटर और बूथ अधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया में परेशानी आ सकती है।ऐसी ही परेशानी मतगणना के दिन न हो इसके चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश पारित किए है। चुनाव में ईवीएम के माध्यम से वोटिंग होनी है। जिसके बाद बिजली कटौती ना होने के सख्त निर्देश जारी किए गए। मध्य प्रदेश में 6 जुलाई को नगर निकाय चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग होनी है। 13 जुलाई को दूसरे चरण की वोटिंग होनी तय की गई है। वही 17 और 18 जुलाई को इसके लिए मतगणना किया जाएगा।

भारत में ईवीएम का उपयोग सबसे पहली बार सन 1982 में केरल राज्य में किया गया था। ईवीएम मशीन को बैलट पेपर व्यवस्था के वैकल्पिक रूप में लाया गया था। निर्वाचन केंद्र पर ईवीएम मशीन के पास ही वीवीपैट मशीन देखने को मिलती है। जब वोटर ईवीएम मशीन में अपने पसंदीदा कैंडिडेट को वोट करता है उसके बाद उसने जो वोट किया है वह निर्धारित कैंडिडेट को ही गया है या नहीं इसका वेरिफिकेशन वह वीवीपैट मशीन पर कर सकता है। ईवीएम के आने से न केवल चुनाव प्रक्रिया में गति आई है बल्कि लाखों की संख्या में छपने वाले बैलट पेपर के खर्चों पर भी विराम लग सका। ईवीएम के आने के बाद कई दिनों तक चलने वाली चुनावी प्रक्रिया अम्मा कुछ घंटों में पूरी हो जाती है।


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