नए नियम के तहत कर्मचारियों की सैलरी (salary), छुट्टी (leave), प्रोविडेंट फंड (PF) सहित वेतन निर्धारण में बदलाव देखा जाएगा। एक तरफ जहां काम करने के घंटे और हफ्ते के नियम में भी बदलाव होंगे। वहीं ग्रेच्युटी को लेकर न्यूनतम समय सीमा की बाध्यता नहीं रहेगी। हालांकि सरकार ने अभी तक इस पर आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन नए लिवर कानून लागू होने के साथ ही यह नियम भी लागू होंगे।
बता दें कि अभी के नियम के मुताबिक किसी भी संस्थान में 5 साल पूरे करने के बाद बीच ग्रेच्युटी का निर्धारण किया जाता था। 5 साल पूरे होने के बाद कर्मचारी महीने के जिस दिन को नौकरी छोड़ते हैं। उसकी वर्तमान सैलरी के आधार पर उसकी ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन किया जाता है। वही अब नियम में बदलाव की तैयारी की गई है।
जिसके तहत सोशल सिक्योरिटी बिल 2020 के चैप्टर 5 में नए नियम की जानकारी दी गई है। इसके तहत यदि कोई कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो निर्धारित फार्मूले के तहत उसे ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है। वहीं लोकसभा में दाखिल ड्राफ्ट की माने तो यह कंजरी किसी भी 1 साल नौकरी करते हैं तो वह ग्रेच्युटी का हकदार माना जाएगा। वही अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए फिलहाल इसे लागू किया जा सकता है।
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छुट्टी नीति में बदलाव
नए नियम के तहत अब कर्मचारियों को 240 दिन के बजाय अधिक छुट्टियां मिल सकती है। 180 दिन काम कर चुके किसी भी कर्मचारी को हर 20 दिन के काम के लिए 1 दिन की छुट्टी की पात्रता होगी।
इसके अलावा सकल वेतन के 50 फीसद कर्मचारियों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। सकल वेतन का 50% होने से Gratuity में वृद्धि होगी। जिससे नियोक्ता-कर्मचारी दोनों को पीएफ में अधिक पैसा लगाना होगा। हालांकि इसका अर्थ यह होगा कि कर्मचारियों को हाथ में मिलने वाली सैलरी कम हो जाएगी।
इतना ही नहीं नए नियम के मुताबिक किसी भी कर्मचारी को एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकेगा। कर्मचारी सप्ताह में 4 दिन यानी दिन के 12 घंटे सप्ताह, 6 दिन यानी दिन के 8 घंटे काम करने की व्यवस्था चुन सकते हैं। वही 12 घंटे काम करने वाले कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी दी जा सकेगी।
महिलाओं के लिए भी नए लेबर कोर्ट ने व्यवस्था की गई है जिसके तहत मेटरनिटी लीव को बढ़ाकर 26 हफ्ते करने से महिला कर्मचारियों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। बता दें कि 2017 में मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में संशोधन किया गया था। इसके बाद सरकार ने बढ़ा दिया गया था। अब सरकार ने इसे साढ़े 6 महीने करने की तैयारी की है। वहीं महिला कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट में लगाने से पहले उनकी अनुमति अनिवार्य होगी। इसके अलावा उन्हें न्यूनतम वेतन गारंटी का लाभ दिया जा सकता है। किसी कर्मचारी के कंपनी छोड़ने की स्थिति में नियोक्ता को कंपनी के अंतिम कार्य दिवस के 2 दिन के भीतर बकाए का पूरा भुगतान करना अनिवार्य होगा।