इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए कोई इनाम राशि नहीं बल्कि उनकी सेवा की न्यूनतम शर्तों में से एक है और उन्हें इसका लाभ दिया जाना चाहिए।इससे पहले हाई कोर्ट में केस हारने के बाद निजी शिक्षकों द्वारा 2009 के संशोधित ग्रेच्युटी अधिनियम को देश के उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। वहीं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि ग्रेच्युटी के भुगतान को निजी स्कूलों द्वारा इनाम के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह शिक्षकों की सेवा की न्यूनतम शर्तों में से एक है।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा जो तर्क दिया जा रहा है। वह बेहद ही अनुचित और तुच्छ है। निजी स्कूलों का यह तर्क भी उनके पास शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं है। यह पूर्ण रूप से अनुचित है। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 2009 के तहत सभी संस्थान कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
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इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने निजी स्कूलों के साथ-साथ इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। निजी स्कूल के शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि कर्मचारी और शिक्षकों को भुगतान के प्रावधान के अनुसार ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। जिसके बाद अब निजी स्कूलों को शिक्षकों को 6 सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी कानून भुगतान के प्रावधान, पूर्वव्यापी संशोधनों के बाद केवल उन निजी स्कूल शिक्षकों पर लागू होंगे जो 3 अप्रैल, 1997 को सेवा में थे और सेवा समाप्ति के समय पांच साल की सेवा पूरी की है। वही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्य में फीस निर्धारण कारण हो सकते हैं, जो स्कूलों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ से निपटने में फिर बढ़ाने से रोकने का काम करते हैं लेकिन इसके कारण शिक्षकों को ग्रेच्युटी और अन्य लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। वह इसके हकदार हैं और उन्हें इनका लाभ मिलना चाहिए।
बता दे कि निजी स्कूल में ग्रेजुएटी मामले में कई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि पंजाब हरियाणा इलाहाबाद मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ गुजरात दिल्ली में जब निजी शिक्षकों को ग्रेच्युटी के मामले में किसी भी तरह की राहत नहीं मिली। तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
ज्ञात हो कि देश में पीएसी अधिनियम 16 सितंबर 1972 से लागू है इसके तहत कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है। हालांकि यह लाभ उन कर्मचारियों को मिलते हैं, जो सेवानिवृत्त, इस्तीफे और किसी अन्य कारण से संस्थान छोड़ने से पहले कम से कम संस्थान में अपनी 5 साल की सेवा पूरी की हो। हालांकि इस संबंध में 3 अप्रैल 1997 को एक अधिसूचना जारी की गई थी। जिसके माध्यम से कहा गया था कि इस अधिनियम को 10 या उससे अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों पर भी लागू किया गया है। जिसके बाद से यह नियम निजी स्कूलों पर भी लागू होने लगे थे।