ऐसे में अब शिवराज सरकार 13 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा क्षेत्र में पदोन्नति में आरक्षण नियम 2022 विधेयक (Reservation in Promotion Rules 2022 Bill) लाने की तैयारी में है। मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार अपने सभी दावे को पूरा करने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही कर्मचारियों की नाराजगी से बचना चाहेगी। जिस को मद्देनजर रखते हुए 13 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र में पदोन्नति में आरक्षण नियम 2022 लागू करने विधेयक लाया जा सकता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई 2 सप्ताह के लिए आगे बढ़ गई है। अक्टूबर से पहले सालों से लंबित पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुलझने के आसार कम नजर आ रहे हैं। जिसके साथ ही कर्मचारियों अधिकारियों को एक बार फिर इंतजार करना होगा। जबकि इस मामले में अनारक्षित वर्ग सहित आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारी भी संतुष्ट नहीं है। सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हमारे सुझाव पर ध्यान दिए बगैर एकतरफा नियम बनाए गए हैं। सरकार इसे लागू करती है तो कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। जबकि आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को लुभाने सरकार नए नियम लागू कर विधेयक लाने की तैयारी में है।
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सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के लिए मध्यप्रदेश लोकसेवा पदोन्नति नियम 2022 तैयार किए गए। हालांकि इसमें सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को नुकसान की बात कही जा रही है। इन नियमों में आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध ना होने पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में संयुक्त सूची बनाकर पदोन्नति देने का प्रावधान किया गया है जबकि आरक्षित वर्ग के पद को लोक सेवक उपलब्ध ना होने पर रिक्त रखा जाएगा।
ऐसी स्थिति में पहले आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति दी जाएगी। जब भी किसी आरक्षित वर्ग के पर यदि पहले से भरे हैं तो सभी रिक्त पदों को शामिल करते हुए संयुक्त चयन सूची तैयार किया जाएगा। जिसमें कर्मचारियों के नाम योग्यता के क्रम में रखे जाएंगे। इतना ही नहीं आरक्षित वर्ग के पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उनके पद रिक्त रखे जाएंगे जब तक संबंधित वर्ग के कर्मचारी उन पदों पर न पहुंचे। जिसका अनारक्षित वर्ग द्वारा भी लगातार विरोध किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में 2016 से कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है। 70000 से अधिक कर्मचारी अपनी सेवा प्रदान करते हुए बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि 36000 से अधिक हो अभी तक पदोन्नति का लाभ नहीं मिला है। इस मामले में 2016 को मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2022 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हालांकि सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में पदोन्नति पर आरक्षण को रोक दिया गया था। जिसके बाद से मध्यप्रदेश में पदोन्नति पर आरक्षण मामले में रोक लगी हुई है। वहीं हजारों कर्मचारी अपनी सेवा प्रदान करते हुए बिना पदोन्नति का लाभ लिए सेवानिवृत्त हो गए हैं। जिस पर अब विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार द्वारा नवीन तैयारी की जा रही है। हालांकि इस तैयारी का लाभ किसे मिलता है और इससे सरकार अधिकारी कर्मचारियों को साधने में संतुष्ट हो पाती है या नहीं यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल राज्य सरकार द्वारा अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नत करने विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है।