लाइफस्टाइल, डेस्क रिपोर्ट। आपकी रसोई (kitchen) में जो पीले रंग की हल्दी (turmeric) रखी है। उसके कई तरह के इस्तेमाल की जानकारी है आपको। ये हल्दी खाने में तो डलती ही है। दूध में डल जाए को दवा की तरह काम करती है। हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट गुणों(antioxidant properties) की जानकारी अधिकांश लोगों को होती है। Health Tips में आज हम लाएं हैं काली हल्दी से जुड़े कुछ रोचक जानकारी, जिसे जानना आपके लिए है बेहद खास। क्या आपको पता है पीली हल्दी की तरह काली हल्दी (black turmeric) भी आती है।
इस काली हल्दी में भी पीली हल्दी की तरह कई औषधीय गुण होते हैं। जिसके चलते कई बीमारियों के इलाड के लिए काली हल्दी का उपयोग होता है। काली हल्दी ज्यादातर आदिवासी इलाकों में इस्तेमाल की जाती है। जिससे दवा, मसाले जैसी कई चीजें बनाई जाती हैं। वैसे आपको खड़ी काली हल्दी या इसका पाउडर दोनों चीजें मिल सकती हैं।
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काली हल्दी के फायदे
इंफेक्शन से मिले राहत
काली हल्दी में भी पीली हल्दी की तरह एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। साथ ही एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। जिससे ये अलग अलग इंफेक्शन से शरीर को बचाती है। खौसतौर से टॉन्सिल्स वालों के लिए ये बहुत फायदेमंद होती है।
पाचन तंत्र के लिए
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन फॉर्मेसी एंड केमिस्ट्री में इस हल्दी पर रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जिसके मुताबिक काली हल्दी से डाइजेशन ठीक रहता है। काली हल्दी पेट दर्द और पेजिश दोनों में शरीर को राहत देता है।
माइग्रेन होने पर
माइग्रेन होने पर काली हल्दी का लेप बनाकर माथे पर लगाएं। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है। अगर सिर दर्द एसिडिटी की वजह से है तो काली हल्दी को उबाल कर वो पानी पिएं।
चोट से राहत
काली हल्दी का उपयोग चोट पर उसी तरह किया जाता है जिस तरह सामान्य हल्दी का किया जाता है। एक खास बात ये है कि काली हल्दी की जड़ भी चोट जल्दी भरने में मददगार होती है। इसे कुचलकर लेप बनाया जाता है जिसे चोट या मोच पर लगा सकते हैं।