सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने Guest Faculty के लिए फिर से महत्वपूर्ण फैसला लिया है। दरअसल तकनीकी शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश (Technical Education Department Madhya Pradesh) के लगभग 300 पॉलिटेक्निक अतिथि विद्वानों को बड़ी राहत दी गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और हीमा कोहली की युगल पीठ ने बेहद सख्त निर्णय लेते हुए अतिथि विद्वानों को स्थायित्व और अंतरिम राहत प्रदान किए। जहां उनके प्रति लेक्चर सैलरी को हजार रुपए किया गया है।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से पॉलिटेक्निक अतिथि विद्वानों के लिए अनिश्चितता बनी हुई है। यह बेहद गंभीर मामला है। इस तरह तो अतिथि शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि अतिथि विद्वानों का पद अन्य गेस्ट फैकेल्टी से नहीं भरा जा सकेगा।
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इसके साथ ही पॉलिटेक्निक अतिथि विद्वान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील वरुण ठाकुर ने पक्ष रखा। जहां दलील देते हुए कहा कि अतिथि विद्वान पूर्व में निर्धारित नियम के तहत पॉलिटेक्निक कॉलेज में अतिथि विद्वानों के पद पर नियुक्त हुए थे। दशक तक कार्य करते हुए उनकी स्थिति काफी दयनीय दो दशक से डिपार्टमेंट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन द्वारा 10:00 बजे से 5:00 बजे तक रोककर उनसे पठन-पाठन के अलावा मूल्यांकन, दस्तावेज सत्यापन सहित शैक्षणिक कार्य करवाए जाते हैं। बावजूद उन्हें बेहद कम मानदेय प्रदान किया जाता है।
हालांकि अतिथि विद्वानों की स्थिति को सुधारने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा जनवरी में तकनीकी शिक्षा और कौशल विभाग द्वारा 11 महीने के आगामी सत्र 2022 में ₹30000 प्रति महीने मानदेय का फैसला किया जा चुका है लेकिन विभाग के अधिकारी द्वारा अभी पुरानी व्यवस्था को बदला नहीं गया है।
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वही वकील ने दलील दी कि 27 जनवरी को तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा एक आदेश जारी किया गया। जिसमें कार्यरत को 400 और नई व्यवस्था से पॉलिटेक्निक अतिथि व्याख्याताओं को ₹30000 अधिकतम दिए जाने का आदेश जारी कर दिया गया था। वही अतिथि विद्वानों को एकमुश्त वेतनमान ना दिया जाना उनके साथ शोषणकारी रवैया अपनाने जैसा है। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट में बड़ा फैसला सुनाते हुए अतिथि विद्वानों को प्रति लेक्चर ₹1000 देने के आदेश दिए हैं।