भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में शिवराज सरकार (shivraj government) नन परफॉर्मिंग अधिकारियों (Non-performing officers) की छुट्टी करने की तैयारी में है। इसी बीच यह कार्रवाई शुरू कर दी गई है। दरअसल प्रदेश के 90 मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO), जिन्होंने यह तो 50 साल की सीमा पार कर ली है, या फिर नौकरी में 20 वर्ष पूरे कर लिए हैं। ऐसे नगर पालिका अधिकारी की समीक्षा की जाएगी। 7 दिन के भीतर उनके कार्य शैली और शारीरिक क्षमता की समीक्षा करने के बाद सरकार इन कर्मचारियों पर बड़ा निर्णय ले सकती है।
दरअसल नगरीय प्रशासन एवं विकास के कमिश्नर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सभी संभाग के संभागीय संयुक्त संचालकों को 7 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए है। इस दौरान अब CMO के कार्यों की समीक्षा की जाएगी। वहीं यदि इन कर्मचारियों के कार्यशैली में किसी भी तरह की कमी पाई जाती है या फिर इन कर्मचारियों का नाम किसी भ्रष्टाचार में शामिल होता है तो ऐसे कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। जिसकी रिपोर्ट 1 नवंबर को संयुक्त संचालकों द्वारा कमिश्नर श्रीवास्तव को सौंपी जाएगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार की योजना गैर-सक्षम अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी सेवाओं से जबरन सेवानिवृत्त करने की है। शिवराज सरकार द्वारा सभी विभागों के प्रमुखों को अपने-अपने विभागों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्यों की स्क्रीनिंग करने और अंडर परफॉर्मिंग और नॉन-परफॉर्मिंग कर्मचारियों की सूची तैयार करने को कहा है। सरकार की नीति के अनुसार अंडर परफॉर्मिंग अधिकारी, जिन्होंने या तो 50 वर्ष या 20 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है को अनिवार्य सेवानिवृत्ति (compulsory retirement) दी जाएगी, जबकि अन्य को कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा।
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सभी विभागों के साथ समीक्षा बैठक करने के बाद सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है। कई विभागों के कामकाज में सुधार की जरूरत है। सरकार को योग्य और सक्षम लोगों की जरूरत है जो नए विचारों के साथ आ सकें और लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए समय पर परिणाम दे सकें। उस उद्देश्य के लिए, हमें अक्षम अधिकारियों को हटाने की जरूरत है।
सभी विभागों के प्रमुख पिछले कुछ वर्षों के कर्मचारियों के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। दरअसल बिजली, सार्वजनिक निर्माण, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी प्रशासन, और अन्य सहित कुछ विभागों के खराब कामकाज के पीछे का कारण कुछ अधिकारियों की काम करने की अनिच्छा पाया गया है। उन्होंने अपने काम को बेहतर बनाने में शायद ही कोई दिलचस्पी दिखाई है। जिसपर सरकार ने ये तैएरी की है। संबंधित विभागों के मंत्रियों द्वारा भी सीएम से यही शिकायत की गई थी।