Sun, Dec 28, 2025

International Tiger Day: टाइगर स्टेट होने पर गौरवान्वित सीएम शिवराज, कही बड़ी बात

Written by:Kashish Trivedi
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International Tiger Day: टाइगर स्टेट होने पर गौरवान्वित सीएम शिवराज, कही बड़ी बात

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बाघ (tiger) उन प्रजातियों में से एक हैं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए, बाघ संरक्षण (tiger reserve) पर जागरूकता फैलाने के लिए, हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) या वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने बाघों के संरक्षण पर बड़ी बात कही है।

दरअसल सीएम शिवराज (cm shivraj) ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस और टाइगर बचाने के लिए प्रदेश में हमारी वाइल्डलाइफ (wildlife) की टीम द्वारा किए गए कार्य अभिनंदनीय है। CM शिवराज ने कहा कि विशेष प्रयत्न से बाघ की संख्या मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है। हम टाइगर स्टेट के रूप में कटिबंध है और बाघों को बचाने के लिए हम इस तरफ और अग्रसर होंगे।

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ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश के और संरक्षित क्षेत्रों में भी अब टाइगर की संख्या बढ़ने लगी है भोपाल में 2006 में एक भी बाघ नहीं थे लेकिन अब राजधानी में बाघों की संख्या बढ़कर 18 है। वही बाघों के संरक्षण के लिए प्रदेश का घोरेला मॉडल (ghorela model) पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका है। मध्यप्रदेश में इस मॉडल के तहत मां से बिछड़े शावकों को का पालन पोषण कर उन्हें प्राकृतिक निवास में छोड़ दिया जाता है। कान्हा टाइगर रिजर्व में गोरेला एक्सक्लोजर में 9 बाघ शावकों को व्यस्क होने पर उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जा चुका है।

बाघ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर इस वर्ष का थीम “उनका अस्तित्व हमारे हाथ में है” को चुना गया है। कोरोना के प्रकोप के कारण पिछले साल यह उत्सव ऑनलाइन आयोजित किया गया था। हालाँकि इस आयोजन को दुनिया भर में बड़े उत्साह के साथ देखा गया था। चूंकि भारत में वैश्विक बाघों की आबादी का लगभग 70% हिस्सा है, इसलिए भारत इस उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टाइगर रिजर्व के स्थान पर और पर्यावरण विभाग के प्रयासों से भारत ने 2022 के लक्ष्य से पहले बाघों की आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर दिया है।

29 जुलाई की तारीख ऐतिहासिक

29 जुलाई की तारीख ऐतिहासिक है क्योंकि इस दिन कई देशों ने सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो 2010 में रूस में आयोजित किया गया था। यह समझौता विश्व स्तर पर बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के बारे में था। साथ ही, विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने घोषणा की कि बाघ-आबादी वाले देश वर्ष 2022 के अंत तक बाघों की आबादी को दोगुना कर देंगे।

भारत में बाघों की गणना प्रत्येक 4 वर्ष में की जाती है। यह प्रक्रिया तीन चरण में पूरी होती है। जिसमें सांख्यिकी विश्लेषण में किसी क्षेत्र में बाघों की संख्या का आकलन किया जाता है।