भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। International Yoga Day 2022 : आज सारी दुनिया योग (Yaga) की शक्ति पहचान चुकी है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके महत्व को स्वीकारा जा चुका है। अलग अलग देशों में हर धर्म के लोग योग को अपना रहे हैं। ऐसे में हम इस बात पर गौरव का अनुभव कर सकते हैं कि योग की उत्पत्ति हमारे देश भारत (India) में हुई है।
योग की उत्पत्ति एवं इतिहास
योग का संबंध धर्म से नहीं अध्यात्म से है। योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई है। गीता में कई बार योग शब्द का प्रयोग हुआ है और इसे कई अर्थों में प्रयुक्त किया गया है। मुख्यत: तीन योग बताए गए हैं ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग। महाभारत युदध् के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया तब कहा था कि कि जीवन में सबसे बड़ा योग कुछ है तो वह है कर्म योग अर्थात अपना कर्म करते जाना। इसी के साथ अर्जुन का विषाद दूर करने के लिए उन्होने 18 योग बताए थे। हैं। योग के इतिहास को लेकर कोई निश्चित धारणा नहीं है, लेकिन योग का वर्णन सबसे पहले वेदों में मिलता है और वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है। भारतीय संस्कृति में शिव को पहला योगी माना गया है। योग विद्या में शिव को आदि योगी तथा आदि गुरू माना जाता है। वैदिक काल में ऋषि-मुनियों द्वारा योग करने का उल्लेख मिलता है।
महर्षि पतंजलि का अष्टांग योग
मान्यता है कि जब से मानव सभ्यता प्रारंभ हुई, तभी से योग किया जा रहा है। ये भी कहा जाता है कि प्राचीनतम धर्म या आस्थाओं के उद्भव से पहले ही योग का जन्म हो चुका था। योग से सम्बन्धित सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएं हैं। उस काल में योग का प्रचलन का था इसका प्रत्यक्ष प्रमाण वहां से मिली शारीरिक मुद्राओं और आसन से मिलता है। वर्तमान में उत्तराखंड के ऋषिकेश को योग नगरी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो योग की परंपरा हजारों साल पुरानी है, मान्यता है कि योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना से भी पहले से ही योग किय जाता रहा है। महर्षि पतंजलि (Maharshi Payanjali) को योग का पितामह कहा जाता है। उन्होने योग के 195 सूत्रों को व्यवस्थित करते अष्टांग योग (Ashrang Yoga) का आरंभ किया। हालांकि इसके काल को लेकर इतिहासकारों के विभिन्न मत है लेकिन सबसे ज्यादा मान्यता है कि इसका जन्म पुष्यमित्र शुंग (195-142 ई.पू.) के शासनकाल में हुआ था। महर्षि पतंजलि एक चिकित्सक थे साथ ही रसायन शास्त्र के आचार्य भी थे। भारतीय दर्शन शास्त्र में उनके द्वारा लिखे तीन ग्रंथों का जिक्र है। उन्होने अष्टांग योग के महत्व को समझाया जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, प्रत्याहार और समाधि शामिल है। वर्तमान में इनमें से आसन, प्राणायाम और ध्यान ही चलन में है।
स्वास्थ्य के साथ मनुष्य को मुक्ति की ओर ले जाने तथा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने में भी योग सहायक है। योग से शरीर और मन के बीच संतुलन साधा जा सकता है तथा ये मानसिक शांति भी प्रदान करता है। हम योग के माध्यम से न सिर्फ खुद को शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है। तनाव दूर करने और खुश रहने के लिए भी योग बेहद सहायक है।