मुंबई, डेस्क रिपोर्ट। राजनीति की दशा और दिशा में कब परिवर्तन आ जाए, कहना बेहद कठिन है। ताजा मामला महाराष्ट्र (Maharashtra Political Crisis) से सामने आ रहा है। महाराष्ट्र की सत्ता में कई महीनों से उठापटक जारी था। हालांकि मामले कई बार बिगड़ते बिगड़ते लेकिन सोमवार को विधान परिषद चुनाव (legislative council election) के समय क्रॉस वोटिंग (cross voting) की आशंका जताई गई है। सूत्रों की माने महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक संजय कुटे गुजरात के सूरत स्थित ली मेरिडियन रिजॉर्ट पहुंच गए हैं। BJP सभी बागियों को अहमदाबाद ले जाने की पेशकश कर सकती है।
इसी बीच विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता पद से एकनाथ शिंदे हटाए गए। एकनाथ शिंदे ने गुप्त ट्वीट में कहा कि बालासाहेब की विचारधारा के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम बालासाहेब के पक्के शिवसैनिक हैं… बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद दीघे साहब की शिक्षाओं के बारे में सत्ता के लिए हमने कभी धोखा नहीं दिया और न कभी धोखा देंगे।
आम्ही बाळासाहेबांचे कट्टर शिवसैनिक आहोत… बाळासाहेबांनी आम्हाला हिंदुत्वाची शिकवण दिली आहे.. बाळासाहेबांचे विचार आणि धर्मवीर आनंद दिघे साहेबांची शिकवण यांच्याबाबत आम्ही सत्तेसाठी कधीही प्रतारणा केली नाही आणि करणार नाही
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 21, 2022
जानकारी की माने तो महाराष्ट्र सरकार (uddhav government) गठबंधन में है। जिनमें उनके 25-29 से अधिक विधायक (MLA) गायब है। वही अभी फिलहाल में 9 विधायक के सूरत पहुंचने की खबर सामने आई है। गुजरात में एक तरफ जहां उद्धव सरकार के खिलाफ सियासी उलटफेर की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं दूसरी तरफ सवाल ये उठता है कि क्या उद्धव ठाकरे सियासी भूचाल से खुद को बचा पाएंगे। वहीं कांग्रेस ने सियासी संकट के प्रबंधन के लिए वरिष्ठ नेता कमलनाथ (kamalnath) को भेजने का फैसला किया है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर एआईसीसी ने पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
"जय कांग्रेस, विजय कांग्रेस" pic.twitter.com/EGF1r8zVPE
— MP Congress (@INCMP) June 21, 2022
वहीं महाराष्ट्र के सियासी हलचल पर शरद पवार का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस सियासी संकट से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि उद्धव खुद यह मसला सुलझाएंगे। हालांकि शरद पवार से जब पूछा गया कि बहुमत खो देने के बाद क्या वह BJP में जाना चाहेंगे? इस पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि भाजपा में जाने का सवाल ही नहीं उठता है। नई जिम्मेदारी देने का फैसला उद्धव ठाकरे लेंगे। वही Eknath Shinde को क्या जिम्मेदारी दी जाती है, यह पार्टी फैसला पर निर्भर करेगा। पवार ने कहा कि शिंदे की नाराजगी शिवसेना का अंदरूनी मामला है और इस पर सहयोगी से चर्चा की जाएगी। वहीं बागी विधायकों से मिलने शिवसेना के दो नेता मिलिंद नार्वेकर और राजन विचारे सूरत जाएंगे।
हालांकि उद्धव सरकार में मतभेद की खबर नई नहीं है। एकनाथ शिंदे के अलावा भी पार्टी के कई ऐसे नेता है, जो पार्टी के पॉलिसी सहित कई अन्य फैसलों पर एकमत नहीं रहे हैं। अब ऐसे में विधान परिषद चुनाव के बाद क्रॉस वोटिंग और पार्टी को धोखा देने की बातें भी जगजाहिर हो गई है। दरअसल महाराष्ट्र में शिवसेना के अलावा कांग्रेस- एनसीपी और महा विकास आघाडी गठबंधन सत्ता में है। बावजूद इसके एमएलसी के चुनाव में बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि शिवसेना और एनसीपी को दो-दो सीटें जबकि कांग्रेस को 1 सीटें ही मिल पाए। जिसके बाद क्रॉस वोटिंग की चर्चा तेज हो गई। हालांकि क्रॉस वोटिंग की सबसे तेज होने के बाद अब एकनाथ शिंदे के साथ सरकार का संपर्क ना होना बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
मगर मौजूदा स्थिति की बात करें तो विधान परिषद चुनाव के बाद सरकार पर संकट के बादल छा रहे हैं। पार्टी में फूट साफ नजर आ रही है। ऐसे में उद्धव सरकार के कई विधायक सूरत में होने की खबर सामने आई है। दरअसल 25 विधायक अभी तक लापता है। वहीं 9 विधायक अभी हाल में ही सूरत पहुंचे हैं। पार्टी के वरिष्ठ शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अपने समर्थकों के साथ गायब होने के बाद शिवसेना के कम से कम 25 विधायक शिंदे के साथ हैं। ऐसे में उद्योग सरकार ने बड़ी बैठक बुलाई है। वहीं सीनियर नेता के साथ मंथन किया जा रहा है।
इधर शिवसेना सहित गठबंधन की अन्य पार्टियों द्वारा बीजेपी पर आरोप लगाए जा रहे हैं। दरअसल उनका कहना है कि एकनाथ शिंदे के अलावा कई विधायकों को नजरबंद किया गया है। हालांकि इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि अगर पार्टी के अंदर फूट की स्थिति है तो आरोप दूसरे पर ना लगाई जाए।
इधर महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी का सत्तारूढ़ शिवसेना के राजनीतिक घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है, मंत्री एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों के साथ संपर्क में नहीं हैं। लेकिन, पाटिल ने यह भी कहा कि अगर भाजपा को एकनाथ शिंदे से सरकार बनाने का कोई प्रस्ताव मिलता है, तो वे निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे।
कुछ अहम जानकारियों की माने तो स्थिति साफ स्पष्ट होती दिखाई दे रही है। दरअसल बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह की बड़ी बैठक आयोजित की गई थी। 12:30 बजे बैठक खत्म हो गई है। जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह Nadda से मिलकर वापस लौट रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान कोई टिप्पणी करने से मना कर रहे हैं।
दूसरी तरफ संजय राऊत उद्धव ठाकरे से मिलने उनके घर पहुंचे हैं जबकि महाराष्ट्र में 5 कैबिनेट मंत्री समेत कुल 25 विधायक अभी सूरत के होटल में मौजूद है। जिस पर शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि एकनाथ शिंदे Not Reachable नहीं है। विधायकों से शिवसेना का संपर्क हुआ है। वह वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के लिए भी तैयार हैं।
हालांकि सरकार की बात करें तो मौजूदा स्थिति में एकनाथ शिंदे और 17 अन्य विधायक ही महा विकास आघाडी सरकार से अलग होते हैं तो सरकार पर कोई खतरा नहीं है। मौजूदा दौर में उद्धव सरकार को 169 विधायक का समर्थन हासिल है। ऐसे में 17 विधायक के बाहर निकलने के बाद सरकार के पास 152 विधायक का समर्थन रहेगा जबकि 288 सदस्य विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है। ऐसे में राज्य में महा विकास आघाडी से सरकार को कोई खतरा नहीं पहुंचा सकता है।
हालांकि महा विकास आघाडी के अलावा यदि कांग्रेस के कई विधायक उद्धव सरकार से अलग होते हैं तो यह सरकार के लिए खतरे का अल्टीमेटम हो सकता है। दरअसल बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस के कुछ विधायक उनके संपर्क में है। अब ऐसी स्थिति में सवाल खड़े होती है कि क्या महा विकास आघाडी सरकार से अलग होने की घोषणा कर सकता है। हालांकि महा विकास आघाडी के सरकार से अलग होने की घोषणा के बाद निश्चित ही उद्धव सरकार पर कुछ खतरे के बादल मंडरा सकते हैं। वहीं यदि महा विकास अघाड़ी बीजेपी को समर्थन करता है और कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी में पहुंचते हैं तो यह निश्चित महाराष्ट्र सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। हालांकि खबरों की माने तो कांग्रेस में खासी नाराजगी है। राज्य के कैबिनेट मंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट भी इस्तीफा दे सकते है।
आंकड़ों -सदस्यता का खेल
स्थिति की मानें तो यदि एकनाथ शिंदे के अलावा 38 विधायक शिवसेना से अलग होकर बीजेपी में शामिल होते हैं तो ऐसी स्थिति में उन सबकी सदस्यता बच जाएगी। जिसके बाद दल बदल कानून के तहत भी मौजूदा विधायक में से दो तिहाई सदस्य किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं। शिवसेना के पास कुल 56 विधायक हैं। दो तिहाई सदस्यों की संख्या 38 होती है। यदि शिवसेना के 38 विधायक के बीजेपी में शामिल होने की बात सामने आती है तो बीजेपी का आंकड़ा बढ़कर 143 पहुंचेगा। ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बना सकती है। इसके अलावा कर बात करें कि एकनाथ शिंदे और 38 विधायक बीजेपी में शामिल ना हो कर अलग पार्टी बनाकर NDA का समर्थन करते हैं तो एनडीए के विधायक का कुल आंकड़ा जो कि अभी 113 है। वह 38 बढ़कर 151 हो जाएगा। ऐसे में एनडीए के पास राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका हो सकता है।
महाराष्ट्र के विधायकों की बात करें तो कुल 31 विधायक के नाम सामने आए हैं। जो अभी सूरत में मौजूद हैं जिसमें कोपरी से एकनाथ शिंदे के अलावा औरंगाबाद से अब्दुल सत्तार, सतारा से शंभूराज देसाई, औरंगाबाद से संदीपन भूमरे, औरंगाबाद से ही उदय राजपूत, रायगढ़ से भरत गोगावले, अकोला से नितिन देशमुख, सांगली से अनिल बाबर, कल्याण वेस्ट से विश्वनाथ भोरई, बुलढाणा से संजय गायकवाड, संजय रामूलकर, सतारा से महेश शिंदे, सोलापुर से शाहजी पाटिल, कोल्हापुर से प्रकाश, माली से संजय राठौड़, उस्मानाबाद से ज्ञानराज चौगुले, उस्मानाबाद से तानाजी सावंत, औरंगाबाद पश्चिम से संजय शिर्सत, औरंगाबाद से रमेश बोरनारे, अमरावती से राजकुमार दयाराम पटेल, Thane से संतराम मौर्य और जलगांव से किशोर पाटिल अभी गुजरात के सूरत में एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद है।
महाराष्ट्र के सियासी घमासान पर दिल्ली में हलचल तेज
दरअसल एक तरफ जहां मुंबई में उद्धव ठाकरे की सरकार ने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा में भी हलचल तेज हो गए हैं। कुछ विधायक अभी रात के समय सूरत निकल गए हैं। वहीं भाजपा शासित राज्य के होटल में रुकने का मतलब कि जल्दी ही महाराष्ट्र में कुछ सियासी हलचल दिखाई दे सकती है। इसके अलावा दिल्ली में भी सियासी गतिविधियां तेज हो गई है। घर पर बैठको का दौर शुरू हो गया। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह Nadda के आवास पहुंचे हैं। पवार भी सरकार को बचाने की प्राथमिकता से दिल्ली पहुंचे हैं। इधर फुट की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को दिल्ली बुलावा है।
एकनाथ शिंदे कौन है
सरकार के लिए पार्टी विरोधी नया नहीं है। कहावत है विरोधी से ज्यादा खतरनाक भीतर खाती होते हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे कौन है और उनका सरकार से क्या नाता है। इस पर चर्चा तेज हो गई है। दरअसल एकनाथ शिंदे को ठाकरे परिवार का विश्वासपात्र माना जाता था। सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद एकनाथ शिंदे सरकार के कई फैसले से असंतुष्ट थे। वही शुरू में शिवसेना के साथ रहते हुए सरकार द्वारा 2019 महाराष्ट्र विधानसभा में निर्वाचित होते रहे।
एकनाथ शिंदे पर बाला साहब ठाकरे का बड़ा प्रभाव माना जाता है। 1997 शिवसेना ने Thane नगर निगम चुनाव में उन्हें पार्षद का टिकट दिया था। 2001 में वह सदस्य में सदन के नेता चुने गए थे और विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले तक पद पर रहे थे। हालांकि पार्टी में मतभेद की स्थिति होने के बाद एकनाथ शिंदे 31 विधायक के साथ गुजरात के सूरत पहुंचे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या uddhav Government सियासी घमासान के बीच एक बार फिर से अपनी सत्ता बचाए पाएगी। या महाराष्ट्र में जल्द ही मध्य प्रदेश जैसे खेला होने की संभावना है।