रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। International Maithil Gaurav Samman: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) में मैथिल समाज (Maithil Samaj) की ओर से एक बड़ा कार्यक्रम किया गया, जिसमें देश-विदेश के करीब सौ लोगों को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार व समाजवेसी श्री कृष्णमोहन झा (Krishnamohan Jha) को अंतरराष्ट्रीय मैथिल गौरव सम्मान (International Maithil Gaurav Samman) मिला।
रायपुर में सगर्भय संस्तव किताब का विमोचन, विशिष्टजनों का सम्मान, गोष्ठी, कवि सम्मेलन,सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न- भी वयोवृद्ध प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र द्वारा रचित एवं मनीष झा द्वारा संपादित पुस्तक का अत्यंत गरिमामय समारोह में लोकार्पण हुआ।वैवाहिक वेब साइट मैथिल ब्राह्मण विवाह बंधन का ऑनलाइन उद्घधाटन किया गया।
वयोवृद्ध प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र द्वारा रचित पुस्तक का अत्यंत गरिमामय समारोह में लोकार्पण हुआ। वैवाहिक वेबसाइड मैथिल ब्राह्मण विवाह बंधन का ऑनलाइन उद्घधाटन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि,साहित्यकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र मुख्य अतिथि प्रसिद्ध समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. शशांक शेखर ठाकुर की अध्यक्षता में एवं देश के प्रख्यात पत्रकार कृष्णमोहन झा के विशेष आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।
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इस अवसर पर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश,विदर्भ,उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राउरकेला,पटना से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। समाज के अनेक क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए मैथिल युवा गौरव, मैथिल गौरव,मैथिल शिरोमणि,विद्यापति वाचस्पति, छत्तीसगढ़ गौरव, संस्थाओ में युवा पहल,वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन, सर्व ब्राह्मण समाज,मैथिल समाज विकास समिति,छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद सहित 100 लोगो का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर ख्यात पत्रकार कृष्णमोहन झा को पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिये अंतरराष्ट्रीय मैथिल गौरव सम्मान दिया गया। श्री कृष्ण मोहन झा ने कहा कि अपनों के बीच अपने समाज द्वारा कोई भी सम्मान मिलना उस समाज को सम्मान के महत्व को कई गुना बढ़ा देता है। मिथिलांचल का अपना एक समृद्धि इतिहास रहा है। आज विश्व के कोने कोने में समाज के लोग विविध क्षेत्रों में अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवा रहे हैं। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र बाकी ना आए नहीं रहा, जहां मैथिली का दखल ना हो।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सैकड़ों साल पहले मैथिल राजगुरु के रूप में आए थे और इस राज्य के प्रमुख मठ मंदिरों में पुरोहित के रूप में अपना प्रभाव अलग ढंग से स्थापित किया है। हमें अपने अतीत से सीखना होगा और आने वाली जनरेशन को इस उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना होगा। जिस ढंग से हमारे पूर्वजों ने समाज की मजबूती से नींव रखी उसी तरह हमें भी इस कार्य को आगे बढ़ाना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बुद्धिनाथ मिश्र ने डॉ रामेन्द्र मिश्रा के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि किसी समाज की उपलब्धियां आने वाली पीढ़ी इतिहास से पढ़ती है और इस समृद्धि इतिहास को कागज के पन्नों में उकेर कर डॉक्टर रविंद्र नाथ मिश्रा ने एक महत्व पूर्ण कार्य किया है। 400 साल पहले जो मैथिल बिहार से मध्य प्रदेश आये। उनके परिजनों की विस्तृत जानकारी इस किताब में समाहित करने का प्रयास उन्होंने किया है। यह किताब समाज के हर एक व्यक्ति के लिए उपयोगी साबित होगी। आभार प्रदर्शन मनीष झा ने किया।