केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया गया है। इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि वो समझ नहीं पा रहीं कि इसके पीछे क्या मानसिकता है। इसी के साथ जब किसी भी योजना का नाम बदला जाता है तो उसमें काफी पैसे और रिसोर्स व्यर्थ होते हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि “योजनाओं के, कानूनों के नाम बदलने में मोदी सरकार धुरंधर है। उनका कोई मुकाबला नहीं है।”
मनरेगा (MGNREGA) भारत की प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना है जिसे साल 2005 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है। इसके तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य जो अकुशल काम करने को तैयार हों..उसे हर साल कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी प्रदान किया जाता है।
केंद्र सरकार ने बदला ‘मनरेगा’ का नाम
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ग्रामीण रोजगार से जुड़ी देश की सबसे बड़ी योजना ‘महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट’ (MGNREGA)का नाम बदलने का निर्णय केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूर कर लिया है। अब इस योजना का नया नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ होगा। इसके साथ ही योजना के तहत ग्रामीणों को दिए जाने वाले रोजगार के गारंटीकृत काम के दिनों की संख्या भी 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी।
प्रियंका गांधी ने कहा ‘फैसला समझ से परे’
कांग्रेस अब इस मुद्दे को लेकर सरकार से सवाल कर रही है। सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं समझ नहीं सकती कि इसके पीछे क्या मानसिकता है। उन्होंने कहा कि “इसमें महात्मा गांधी जी का नाम है। वहीं जब भी किसी योजना को नाम बदलते हैं तो सरकार के रिसोर्स और पैसे व्यर्थ होते हैं। सारे ऑफिस में नाम बदला जाता है..अन्य स्थानों पर भी नाम परिवर्तन होता है उसमें काफी पैसा लगता है।” उन्होंने कहा कि ये एक बड़ी एक्सरसाइज़ होती है और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस योजना का नाम बदलने की क्या आवश्यकता है।
जयराम रमेश ने मोदी सरकार को बताया ‘धुरंधर’
वहीं कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है। एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार योजनाओं के और कानूनों के नाम बदलने में ‘धुरंधर’ है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि “निर्मल भारत अभियान को स्वच्छ भारत अभियान बनाया, ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम को उज्ज्वला नाम दिया, एक कार्यक्रम था बेसिक सेविंग्स अकाउंट उसका नाम जनधन योजना रखा। परिवर्णी शब्द ढूंढने में और नया नाम देने में ये बहुत माहिर है। पैकेजिंग, ब्रांडिंग और नाम देने में ये लोग धुरंधर है। इनकी पंडित नेहरू से तो नफरत है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि महात्मा गांधी से भी इतनी नफरत क्यों है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना का नाम भी आप बदल रहे हैं। पूज्य बापू रोज़गार गारंटी…इसमें पूज्य बापू का क्या मतलब है। जो नाम बीस साल से चल रहा है उसे बदलने की क्या आवश्यकता है।’ उन्होंने सवाल किया कि महात्मा गांधी नाम से आखिर बीजेपी को क्या समस्या है।





