भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में हाई कोर्ट (HC) ने 30 अप्रैल 2016 को एससी-एसटी वर्ग (SC-ST) को प्रमोशन में आरक्षण (promotion in reservation) देने के नियम को असंवैधानिक ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया था। जिस पर अब जल्द फैसला सुनाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में सरकारी पदों पर प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में 14 सितंबर को सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि इसके बाद प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सारे रास्ते साफ हो जाएंगे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने वाले सीनियर वकील मनोज गोरकेला ने कहा कि 14 सितंबर को होने वाली सुनवाई में अंतिम फैसला आ जाएगा। इससे पहले पदोन्नति नियम 2002 (Promotion Rules 2002) के तहत मध्यप्रदेश में अधिकारी कर्मचारियों की पदोन्नति होती थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 2016 में रोक लगाई थी।
read More: सरकार ने कर्मचारियों को दिया बड़ा तोहफा, DA में 11 फीसद की बढ़ोतरी, सितंबर से मिलेगी बढ़ी हुई सैलरी
अनुसूचित जाति-जनजाति (SC-ST) को दिए जा रहे प्रमोशन में आरक्षण (Promotion in reservation) की वजह से अनारक्षित वर्ग (unreserved cateegory) के अधिकारी अपने अधिकार प्रभावित होने की बात कह रहे थे। इस दौरान 2011 में हाईकोर्ट (HC) में 24 याचिका दायर की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2016 में कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 और 335 के सर यह नियम सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को दिए गए दिशा-निर्देश के खिलाफ है और असंवैधानिक है।
जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अब तक यह मामला लंबित है। जिसकी सुनवाई 14 सितंबर को होनी है, प्रमोशन में आरक्षण न मिलने की वजह से मध्य प्रदेश के कर्मचारी अधिकारियों को खासा नुकसान हुआ है। दरअसल इन सालों में मध्य प्रदेश में 1 लाख से अधिक अधिकारी कर्मचारी बिना प्रमोशन रिटायर हो गए हैं।
सरकार ने किया ड्राफ्ट तैयार
मध्यप्रदेश में अधिकारियों के प्रमोशन में आरक्षण (reservation in Promotion) का रास्ता जल्दी खुल सकता है। इसके लिए 4 सदस्य अधिकारियों की कमेटी (committee) ने प्रमोशन में रिजर्वेशन से जुड़ी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट पर जल्दी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) से चर्चा की जाएगी। इस कमेटी में सीनियर आईएएस अधिकारी ए पी श्रीवास्तव, विनोद कुमार, राजेश राजौरा और मनीष रस्तोगी को शामिल किया गया था। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है।