भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में भ्रष्टाचार (corrupt) और लापरवाही कई कर्मचारी के खिलाफ Suspend की कार्रवाई का सिलसिला जारी है। दरअसल कार्रवाई शाजापुर जिले में की गई है। जहां पटवारी तारिक खान और ग्राम पंचायत सचिव (panchayat Secretary) जफर को ग्राम पंचायत के संबंध में निर्देशों का पालन नहीं करने पर कलेक्टर द्वारा निलंबित (Suspend) करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत लसूडिया में कलेक्टर दिनेश जैन (collector Dinesh jain) द्वारा राजस्व सेवा अभियान के तहत शिविरों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। इस दौरान हाई स्कूल भवन प्रधान का कब्जा होने के बाद भी निर्णय कर भूमि देने के संबंध में अन्य स्थान पर प्रस्ताव को तैयार नहीं करने के बाद प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के हितों का भी सत्यापन करने में लापरवाही बरतने के कारण पटवारी तारिक खान को निलंबित करने के निर्देश दिए गए।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के हितग्राहियों के सत्यापन के साथ ग्राम सभा का आयोजन ना करना और ग्राम पंचायत की जानकारी नहीं रखने पर कलेक्टर ने ग्राम पंचायत सचिव जफर को भी निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं कलेक्टर ने लापरवाही पर असंतोष जताते हुए नाराजगी व्यक्त की है।
MPPSC : 63 पदों पर पर होगी भर्ती, 6 मार्च को आयोजित होगी परीक्षा, जाने एडमिट कार्ड डिटेल और नियम
वहीं अन्य कार्रवाई राजगढ़ जिले में की गई है। जहां नाबालिग और महिलाओं की शादी है 10-10 वर्ष पहले हो चुके, उन्हें गलत तरीके से विवाह सहायता योजना का लाभ देने के मामले में जनपद पंचायत सीईओ, संबंधित शाखा के नोडल अधिकारी सहित संबंधित लिपिक को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिसके लिए जिला पंचायत सीईओ ने प्रस्ताव तैयार कर कलेक्टर को भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक जनपद पंचायत राजगढ़ के अधीन आने वाले गांव पालखेड़ी सहित अन्य में ये मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में भारी अनियमितता और वित्तीय अनियमितता की जांच होने के बाद जिला पंचायत सीईओ प्रीति यादव ने मामले का पर्दाफाश करते हुए जिला पंचायत के प्रभारी आशीष गुप्ता और स्वच्छ भारत मिशन के प्रभारी महेंद्र सौराष्ट्रीय को मिलाकर 2 सदस्यों की जांच टीम निर्मित की थी।
इस दौरान इस मामले में संबंधित शाखा के नोडल अधिकारी सहित लिपिक को दोषी माना गया है। इसके साथ ही निलंबन की कार्रवाई के लिए प्रस्ताव कलेक्टर के पास भेज दिए गए हैं। इस मामले में जनपद पंचायत सीईओ सहित अन्य अधिकारियों की भागीदारी पर ₹51-51000 रुपए के भुगतान को गलत करार दिया गया है। इसमें कई ऐसे लोग को भी भुगतान किया गया है जो नाबालिग हैं।