भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के स्कूलों (MP School) में शिक्षा (Education) को सुदृढ़ करने के लिए बड़ी तैयारी की जा रही है। दरअसल प्रदेश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के तहत बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई का फैसला रोजगार के क्षेत्र में बढ़ती मांग को देखकर लिया गया है। इसके लिए शासकीय स्कूलों (MP Government jobs) में कक्षा 8वीं से 12वीं तक के छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमता की पढ़ाई वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी।
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने बड़ी घोषणा की। आगामी सत्र 2022 में मध्य प्रदेश के स्कूलों में पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। इंदर सिंह परमार का कहना है कि भविष्य की जरूरत और रोजगार के क्षेत्र में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसका फैसला लिया गया है।
इसके लिए मध्य प्रदेश राज्य ओपन बोर्ड (Madhya Pradesh State Open Board) को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। वहीं इस तरह का प्रस्ताव इससे पहले देश में हिमाचल सरकार द्वारा तैयार किया गया है। साथ ही CBSE के संबंधित स्कूलों में भी इसे पढ़ाया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा के साथ-साथ टेक्निकल फील्ड में भी सुदृढ़ करना है।
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इस मामले में राज्य ओपन बोर्ड के निदेशक टी तिवारी का कहना है कि मध्य प्रदेश के आठवीं से बारहवीं तक के बच्चे को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत प्रोजेक्ट सॉफ्टवेयर बनाना और कोडिंग करना सिखाया जाएगा। इससे बच्चे तकनीकी रूप में दक्ष भी होंगे और उन्हें रोजगार भी मिलेगा इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
जाने इसकी विशेषता
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश राज्य ओपन बोर्ड को सौंपी गई है।
- मध्य प्रदेश राज्य ओपन बोर्ड ने इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ अनुबंध किया है।
- वहीं शुरुआत ने प्रदेश के 51 जिला मुख्यालय के 1-1 School में ऐसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार किया जाएगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (Machine learning) के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए 51 स्कूल के कंप्यूटर लैब को तैयार करने की जिम्मेदारी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी पर सौंपी गई है।
- इसके अलावा इन स्कूलों के शिक्षकों को भी कंपनी द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- साथ ही स्कूल में 40 से 100 बच्चों की क्षमता वाले कंप्यूटर लैब तैयार किए जाएंगे।