मध्य प्रदेश सरकार ने एक व्यवस्था में बदलाव किया है। जिसका आर्थिक फायदा राज्य शासन को होगा। दरअसल स्तरीय पुल के निर्माण की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया। जिसके बाद अब बड़े पुल इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन पद्धति पर बनाए जाएंगे। राज्य शासन की योजनाओं की माने तो ठेकेदार यह पुल की डिजाइन बनाएंगे। इससे पहले फूल की डिजाइन इंजीनियर द्वारा बनाई जाती थी। जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान होता था। दरअसल बीते साल बाढ़ में ग्वालियर चंबल संभाग के उच्च स्तरीय पुल पानी में डूब गए थे। जिससे यातायात में भी काफी बाधा देखने को मिली थी।
जिसके बाद कई अन्य तरह के प्रकरण सामने आने के बाद अब राज्य शासन ने उच्चस्तरीय पुल निर्माण की व्यवस्था को ठेकेदार को सौंपने का निर्णय लिया है यदि इसमें परिवर्तन हुए बढ़ता है उसकी लागत बढ़ती है तो इसका भार भी निर्माण एजेंसियों को ही उठाना होगा जिससे सरकारी कोष पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। नई ताजा अपडेट के मुताबिक जांच रिपोर्ट में आई अपडेट के मुताबिक श्योपुर-बड़ौदा मार्ग पर सिर्फ नदी पर बने उच्चस्तरीय पुल की लंबाई को भी 105 मीटर से बढ़ाकर 125 मीटर किया गया है।
MP पंचायत चुनाव पर आए बड़ी अपडेट, 25 अप्रैल तक पूरी होगी प्रक्रिया, CM को सौंपा जाएगा प्रतिवेदन
इसी तरह अन्य पुलों के निर्माण की कमी को भी सामने रखा गया है जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने अब केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय सड़क निधि के कामों में अपनाई जा रहे इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन पद्धति से उच्चस्तरीय पुलों के निर्माण कराने के निर्णय लिए हैं। एक तरफ जहां पुल के डिजाइन विभाग की जगह ठेकेदार तैयार करेंगे। वहीं इसका अनुमोदन विभाग द्वारा किया जाएगा। वहीं उच्च स्तरीय पुल के निर्माण के बाद की गारंटी की अवधि बढ़ कर 10 साल की जा सकेगी। अभी इसकी अवधि 5 साल निर्धारित है। इस मामले में विशेष बैठक की गई।
जिसमें विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने इन सभी बातों और विषय को ध्यान में रखते हुए उच्च स्तरीय पुलों के निर्माण इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एवं कंस्ट्रक्शन पद्धति से कराने का निर्णय लिया है। इसके होने के बाद निर्माण की संपूर्ण जिम्मेदारी ठेकेदार को दी जाएगी। वहीं पुल के क्षतिग्रस्त होने की संभावना भी कम रहेगी। यदि एक बार लागत में वृद्धि हो जाने के बाद उसमें वृद्धि होती है तो इसका भार राज्य शासन को नहीं उठाना होगा।