Navratri 2021: शून्य से उबारती है नवरात्रि – प्रवीण कक्कड़

Kashish Trivedi
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Shardiya Navratri

भोपाल, प्रवीण कक्कड़| व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य जिस अवधि में आध्यात्मिक धन से भरता है, यह अवधि “नवरात्रि” (Navratri 2021) है। इस प्रयोजन के निमित्त , व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी की पूजा करता है। वर्ष में दो बार आने वाला यह समय ही “नवरात्रि”  है|

नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दोनों विशेष समय खास तौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्यौहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति अर्थात उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा की पूजा का सबसे शुभ और अनोखी अवधि मानी गई है। यह पूजा विधान वैदिक युग से पहले, अर्थात प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से एक रूप गायत्री साधना का हैं।


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