भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 130 वर्ष पुराने शासकीय महाराजा स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय का संविलियन का फैसला लिया गया है, जिसका विरोध शुरु हो गया है। महाराजा कॉलेज के पूर्व छात्रों, वर्तमान छात्रों, कांग्रेस के युवा नेताओं सहित छतरपुर के लोगों ने इस फैसले के विरोध में मोर्चा खोला दिया है।वही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी आपत्ति जताई है और इसे वापस लेने की मांग की है।
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दरअसल, 13 सितंबर सोमवार को शिवराज सरकार की हुई कैबिनेट बैठक में शासकीय महाराजा स्वशासी स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय, छतरपुर का महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर में समस्त संसाधनों सहित संविलियन एवं पूर्व में स्वीकृत 236 पदों (प्रशासकीय 13, शैक्षणिक 140 एवं गैर शैक्षणिक 83) की पुनर्संरचना के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।इसके तहत महाराजा कॉलेज में संचालित महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में अब कॉलेज का संविलियन किया जाएगा। इससे विश्वविद्यालय को भवन-संसाधन तो मिलेगें और नए कोर्स भी शुरु हो सकेंगे, लेकिन जिले के सबसे पहले और वर्ष 1949 में स्थापित महाराजा कॉलेज का नाम खत्म हो जाएगा।