राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की तैयारी, रविवार को CM का बड़ा ऐलान संभव, इस तरह मिलेगा लाभ!

Kashish Trivedi
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pensioners pension

रांची, डेस्क रिपोर्ट। राजस्थान-छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना (Old pension scheme) लागू होने के बाद कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लेकर मांग शुरू हो गई। राज्य कर्मी और Pensioners लगातार पुरानी पेंशन योजना की मांग कर रहे हैं। इसी बीच राजधानी में 26 जून को पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के लिए पेंशन महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें उड़ीसा- तेलंगना-उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश- बिहार और विभिन्न राज्यों के कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस दौरान राज्य सरकार केंद्र से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की जाएगी। वहीं मुख्यमंत्री इस महा सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल होंगे।

ऐसी जानकारी सामने आ रही है। वहीं इस जानकारी के सामने आते हैं यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री कल बड़े ऐलान कर सकते हैं। हालांकि एक तरफ जहां राज्य कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग पर अड़े हुए। वहीं दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि पुरानी पेंशन प्रणाली को फिर से लागू किया जाता है तो यह कई राज्यों के लिए बेहद हानिकारक साबित होगा। इसके साथ ही बड़ी चेतावनी जारी की गई है।

रांची के मोराबादी मैदान में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारी को पेंशन सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न राज्य के राज्य कर्मी से जुड़े संगठन मौजूद रहेंगे। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार के अलावा उड़ीसा और तेलंगना से भी राज्य कर्मचारी शामिल होंगे। बता दें कि नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए वहां सम्मेलन का आयोजन झारखंड में किया जा रहा है। इस बीच कर्मचारी छत्तीसगढ़ मॉडल पर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं।

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हालांकि राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने में कोई अड़चन आ सकती है। दरअसल वर्ष 2004 में झारखंड में पुरानी पेंशन योजना को बंद करने पेंशन योजना लागू कर दी गई थी। जिसके बाद कर्मचारियों द्वारा कटौती की गई राशि PFRDAI में जमा की गई थी। वही झारखंड सरकार का कहना है कि जब तक पीएफआरडीए में जमा की गई राशि झारखंड सरकार को नहीं मिलती है तब तक प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करना बेहद गंभीर मसला है।

वित्त विभाग के आंकड़ों की माने तो नई पेंशन योजना के झारखंड सरकार के लगभग 11000 करोड रुपए कर्मचारी के जबकि ₹6000 करोड़ रुपए सरकार के पीएफआरडीए आई में जमा है। 1 दिसंबर 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारी को रिटायर होने में अभी 10 साल का समय लगेगा। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना का लाभ कर्मचारियों को मिलने में 10 साल का समय है। जिससे सरकारों को अन्य मदों पर उपयोग कर इससे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दे सकती।

वहीं एक अन्य नियम के तहत यदि PFRDAI द्वारा राज्य सरकार को राशि वापस नहीं की जाती है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार 1 अगस्त 2022 से नियुक्त हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दे सकती है। इस बैठक में अब तक विचार से यही बात निकल कर सामने आई है। 31 दिसंबर 2004 से 31 जुलाई 2022 के बीच नियुक्त हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने के लिए PFRDAI में जमा राशि का रिलीज होना बेहद आवश्यक है। हालांकि अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कल होने वाले महा सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि हेमंत सोरेन पुरानी पेंशन योजना की घोषणा कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह देखना होगा कि झारखंड के राज्य कर्मचारियों को किस नियम के तहत पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाता है।

RBI Report 

पेंशन व्यय में वृद्धि पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल की एक रिपोर्ट में राज्यों को पुरानी पेंशन प्रणाली में वापस जाने के खिलाफ चेतावनी दी है, जून 2022 के अपने मासिक बुलेटिन में, केंद्रीय बैंक का कहना है कि उसने 10 सबसे अधिक ऋणग्रस्त राज्यों के वित्त का अध्ययन किया है और यह बताता है कि अकेले पेंशन व्यय इन राज्यों के कुल राजस्व व्यय का 12.4 प्रतिशत (2017-18 से 2021-22 का औसत) है।

यह अनुमान लगाया गया है कि 2030-31 तक 10 सबसे अधिक ऋणग्रस्त राज्यों में पेंशन आउटगो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.7-3.0% की सीमा में जारी रहेगा। ये राज्य हैं- पंजाब, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और झारखंड। सेंट्रे का पेंशन व्यय उसके राजस्व व्यय का औसतन 5% है, जबकि जीडीपी के संदर्भ में यह 0.8% है।

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुरानी पेंशन प्रणाली में कई कमियां थीं, खासकर मध्यम अवधि के राजकोषीय स्थिरता और आने वाली पीढ़ियों पर कर के बोझ बढ़ने के मामले है।जिसकी वजह से NPS शुरू किया गया था। पश्चिम बंगाल को छोड़कर, अधिकांश राज्यों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) को अपना लिया था।

हालाँकि, हाल ही में राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने पुरानी पेंशन प्रणाली को वापस लागु कर लिया है, जिसके बारे में आरबीआई का कहना है कि एनपीएस बनाम योजना के पेशेवरों और विपक्षों के बारे में बहस फिर से शुरू हो गई है, कुछ और राज्यों ने भी इसी तरह के कदम उठाने पर विचार किया है। आरबीआई का कहना है कि “चूंकि वर्तमान राज्य सरकार के सेवानिवृत्त लोग मुख्य रूप से पुरानी पेंशन योजना के लाभार्थी हैं, अगर राज्य पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने का विकल्प चुनते हैं तो इससे तत्काल वित्तीय तनाव महसूस नहीं किया जाएगा।”


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