भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में नक्सल गतिविधियों (naxal activities) को बढ़ते देख राज्य शासन द्वारा सक्रियता बढ़ा दी गई है। नक्सली संगठन (Naxalite organization) की सक्रियता को देखते हुए नई नक्सल नीति (new naxal policy) तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। डिंडोरी, मंडला से बालाघाट ऐसे इलाके हैं। जहां नक्सली संगठन तेजी से अपने पैर फैला रहे हैं। खुफिया सूत्रों से मिली इनपुट की माने तो विस्तार दलम साइलेंट मोड पर अपना नेटवर्क मजबूत कर रहा है। कई नेशनल पार्क में नक्सलियों के मूवमेंट तेज हो गए हैं। जिसको देखते हुए अब सरकार ने नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को फ्री हैंड दिया है।
इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल गतिविधि को खत्म करने के लिए नक्सली सिलेंडर पॉलिसी लागू की जा रही है। नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए पुलिस को फ्री हैंड देने के साथ ही नक्सल पॉलिसी पर भी विचार किया जा रहा है। वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद नक्सली पॉलिसी को कैबिनेट में लाया जाएगा। वहीं कैबिनेट में मंजूरी मिलते ही इस पर घोषणा की जा सकती है।
जानकारी की माने तो मध्यप्रदेश में सिलेंडर पॉलिसी नहीं होने की वजह से नक्सल विरोधी अभियान में परेशानी आ सकती है। वहीं नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए कोई प्रोत्साहन योजना यह नीति मध्यप्रदेश में नहीं है। हालांकि नक्सल प्रभावित अन्य राज्य में नक्सल नीति तैयार की गई है। जिसके बाद अब इस पर भी प्रक्रिया तेज हो रही है। वही जानकारी की माने तो सरेंडर करने वाले नक्सलियों को जीवन यापन के लिए कृषि योग्य भूमि अन्य सेवाओं का मौका दिए जाने का भी प्रावधान किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में बालाघाट डिंडोरी मंडला नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इसके अलावा झारखंड, आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए इन राज्य में आत्मसमर्पण नीति लागू की गई है लेकिन मध्यप्रदेश में फिलहाल नीति नहीं है। जिसके बाद सक्रिय नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए और उन्हें बेहतर पुनर्वास देने के लिए जल्दी नीति तैयार की जा सकती है।
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इसके लिए पुलिस मुख्यालय की नक्सल विरोधी अभियान शाखा ने नक्सल समय पर नीति का मसौदा के लिए विभाग को भेजा था। जिसके विभाग से मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट में रखा जा सकता है। इस नीति के अनुसार उनके द्वारा सरेंडर किए जाने वाले हथियारों के आधार पर उन्हें पुनर्वास किया जाएगा। वहीं नक्सलियों को जीवन यापन के लिए कृषि योग्य भूमि और अन्य सेवाओं का मौका दिए जाने का भी प्रावधान किया जा सकता है। अधिक खतरनाक हथियार होने पर नक्सलियों को सरेंडर करने पर नगद राशि भी दी जा सकती है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार प्रदेश को नक्सल मुक्त राज्य बनाने की कवायद के विषय में खुलकर बोल चुके हैं। उनका कहना है कि जल्द से जल्द बनाना है। इसके लिए तैयारी शुरू की जा रही है। वही माना जा रहा है कि जल्द ही नक्सल नीति ले जाने से मध्यप्रदेश के नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा और उनसे मिली जानकारी के आधार पर प्रदेश को नक्सल मुक्त क्षेत्र बनाने में लाभ मिलेगा