सुप्रीम कोर्ट ने SAHARA प्रमुख सुब्रत राय को दी बड़ी राहत, पटना हाई कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट आदेश पर लगाई रोक

Kashish Trivedi
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सहारा प्रमुख (SAHARA Chief) सुब्रत राय (subrata Roy) को सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने बड़ी राहत दी है। दरअसल पटना उच्च न्यायालय (patna high court) के उस आदेश पर रोक लगा दी है। जिसमें बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) को सहारा प्रमुख सुब्रत राय को 16 मई तक उनके समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित अलग आदेश पर भी रोक लगाई है।

इससे पहले शुक्रवार को भी Patna HC में पेश नहीं होने के पीछे सुब्रत राय ने बीमारी का हवाला दिया था। जिसके बाद कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इसके साथ ही SC में अगली सुनवाई 19 मई को होगी। इससे पहले नाराज हाई कोर्ट ने बिहार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को सुब्रत राय को पेश करने के आदेश दिए थे। वहीं इसके लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने के भी आदेश दिए गए थे। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सहारा प्रमुख की याचिका पर न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता के लिए आक्षेपित निर्णय और आदेश के संचालन पर रोक लगाते हुए पीठ ने कहा इस मामले में 19 मई को सुनवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को सूचित किया कि इससे पहले उच्च न्यायालय ने बिहार के डीजीपी को 16 मई को सुबह 10.30 बजे राय को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था।

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SC ने कहा हमें सूचित किया गया है कि आक्षेपित आदेश के अनुसार उच्च न्यायालय ने आज एक और आदेश जारी किया है, जिसका प्रभाव उच्च अधिकारियों (पुलिस विभाग) को याचिकाकर्ता (सुब्रत रॉय) को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश देता है, इस पर फ़िलहाल रोक लगाई जाती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (SHICL) ने ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर के जरिए 2.5 करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए। यह अप्रैल 2008 में हुआ जब SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी जारी करना शुरू किया। सितंबर 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने IPO के लिए बाजार नियामक सेबी को दस्तावेज जमा किए।

SEBI को 25 दिसंबर, 2009 और 4 जनवरी, 2010 को दो शिकायतें मिलीं। जिसमें दावा किया गया था कि दोनों कंपनियां कथित रूप से वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर रही थीं और गलत तरीकों से धन जुटा रही थीं। SEBI की एक जांच में पाया गया कि SIRECL और SHICL ने लगभग 2.5 करोड़ निवेशकों से ओएफसीडी के माध्यम से लगभग 24,000 करोड़ रुपये जुटाए।

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अनियमितताओं का पर्दाफाश होने के बाद SEBI ने दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने और निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश दिया। हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप सामने आते ही चीजें गतिरोध में आ गईं। समय के साथ सहारा इंडिया के बैंक खाते और संपत्तियां फ्रीज कर दी गईं।

SC के आदेश के बाद रॉय को 26 जनवरी 2014 को गिरफ्तार किया गया था। Enforcement Directorate ने सहारा समूह पर नवंबर 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सुब्रत रॉय को जमानत मिल गई। इस बीच अदालतों में सुनवाई जारी है।


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