शासकीय कर्मचारी-शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें कैसे मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में लाखों कर्मचारियों (Employees-Teachers) की सेवानिवृत्ति आयु (Retirement age) पर लगातार मामला चर्चा में बना हुआ है। एक तरफ जहां हाल में ही सरकार ने जजों के सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने के प्रस्ताव जैसी बातों से इनकार किया है। वही प्रदेश में कर्मचारियों-शिक्षकों के सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की मांग पर अब सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर जे विजयन और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यूजीसी के नियम संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए हैं। वहीं सेवा नियमों को ओवरराइड नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने वाली अपील को खारिज करते हुए कहा के यूजीसी अधिनियम की धारा 20 के अनुसार केंद्र सरकार के निर्देश यूजीसी के नियम पर लागू होंगे। ऐसे में यूजीसी के सेवा नियम को ओवरराइड करना उचित नहीं है। 2010 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार केरल राज्य में कॉलेज शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष तक बढ़ाने के निर्देश देने की मांग की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के विचारों पर पुष्टि की है और कहा है कि सेवानिवृत्ति की आयु तय करना राज्य सरकार की नीति है।

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बता दें कि इससे पहले अपीलकर्ताओं ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम 2010 के तहत वेतनमान से संबंधित निर्धारित वेतन निर्धारण और कॉलेज में शैक्षणिक कर्मचारी की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग की थी। हलाकि केरल राज्य ने 2010 में वेतनमान संशोधन के संबंध में नियम को अपना लिया था लेकिन यूजीसी की सिफारिश के अनुसार सेवानिवृत्ति आयु को 65 वर्ष तक के लिए नहीं बढ़ाया गया। जिस पर अपीलकर्ताओं ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष बढ़ाने की मांग करते हुए केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

हालांकि उच्च न्यायालय एकल पीठ द्वारा अपीलकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दिया गया था। बाद में उच्च न्यायालय खंडपीठ ने याचिका को भी खारिज कर दिया गया। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में था। सुप्रीम कोर्ट में अपीलकर्ताओं की ओर से वकील ने दलील देते हुए कहा कि यूजीसी अधिनियम और यूजीसी विनियम भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत संघ सूची की प्रविष्टि 66 के तहत संसद द्वारा अधिनियमित किए गए हैं।

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जो समन्वय और निर्धारण से संबंधित है। ऐसे में उच्च शिक्षा अनुसंधान आदि के लिए यूजीसी द्वारा नियुक्त वेतन संशोधन आयोग शिक्षकों के वेतनमान नियुक्ति की पात्रता सहित सेवा की स्थिति और विश्वविद्यालय और कॉलेज में शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर के संबंध में सिफारिश करते हैं। ऐसे में पूरे देश में सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होनी चाहिए। इसकी सिफारिश संघ सूची की प्रविष्टि 66 के तहत मान्य की जा सकती है।

जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 20 के अनुसार केंद्र सरकार के निर्देश यूजीसी के नियम पर लागू होंगे। वही नियम को राष्ट्रीय उद्देश्य संबंधित नीति के प्रश्नों पर निर्देश के अनुरूप होना चाहिए। ऐसे में सेवानिवृत्ति पर यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 20 के अनुसार केंद्र सरकार का फैसला मान्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूजीसी और केंद्र के बीच किसी भी विवाद के मामले में केंद्र सरकार का निर्णय यूजीसी के निर्णय पर निर्भर करेगा। जिसके बाद अब शिक्षकों को सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सहित यूजीसी की घोषणा पर निर्भर रहना होगा। यूजीसी के फैसले के बाद ही अब शिक्षकों के रिटायरमेंट उम्र में वृद्धि की जा सकती है।


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