Rani Lakshmi Bai : खूब लड़ी मर्दानी वो तो..झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर विशेष

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’..इस उद्घोष के साथ 1857 क्रांति में अंग्रेज़ों से लोहा लेने वाली और अपनी कर्मभूमि के लिए प्राण न्योछावर कर देने वाली महारानी लक्ष्मीबाई (Maharani Lakshmibai) की आज पुण्यतिथि ( Death Anniversary) है। उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में उस समय के युनाइटेड प्रोविंस के वाराणसी में हुआ था। उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया था और सब प्यार से मनु कहकर पुकारते थे।

मणिकर्णिका के पिता मोरोपंत तांबे पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में काम करते थे। उनकी मां का नाम भागीरथी बाई था जो एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ महिला थी। लेकिन मनु की मां उन्हें चार साल की उम्र में ही छोड़कर चली गईं। मां की मृत्यु के बाद मणिकर्णिका घर में अकेले होती जिस कारण उनके पिता उसे अपने साथ पेशवा के दरबार में लेकर जाने लगे थे। यहीं से उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई। पेशवा दरबार में ही मनु लड़कों के बीच पली-बढ़ी और तलवारबाजी, घुड़सवारी तथा युद्ध कला में निपुण हो गई।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।