एमपी के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए अपडेट, 1 से 30 मई तक होंगे तबादले, अगली कैबिनेट में नई ट्रांसफर पॉलिसी का प्रस्ताव

नई नीति से खासतौर पर उन कर्मचारियों को लाभ मिलेगा जो दो साल से ज्यादा समय से ट्रांसफर बैन के चलते एक ही जगह पर जमे हुए है।

MP Transfer Policy : मध्य प्रदेश के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। आने वाले दिनों में तबादलों से बैन हटने वाला है। अगली कैबिनेट बैठक में (संभवत: 29 अप्रैल ) नई तबादला नीति का प्रस्ताव आएगा। इसके तहत 1 से 31 मई के बीच तबादले होंगे।

इस दौरान सभी जिलों में सरकारी कर्मचारियों को अपने हिसाब से पोस्टिंग लेने का ऑप्शन मिलेगा। इससे पहले ट्रांसफर पॉलिसी 2021-22 में लागू की गई थी।सीएम ने मुख्य सचिव को स्थानांतरण की नवीन नीति 2025 का प्रस्ताव तैयार करने को कहा है वही मंत्रियों को अपने-अपने विभाग में ट्रांसफर्स के लिए प्रॉपर प्लानिंग करने के निर्देश दिए है।

अगली कैबिनेट बैठक में आएगी ट्रांसफर पॉलिसी 2025

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया कि अगली कैबिनेट में प्रदेश की ट्रांसफर पॉलिसी पर चर्चा की जाएगी। मुख्य सचिव से कहा कि स्थानांतरण के लिए नवीन नीति 2025 पर अगली बैठक में चर्चा एवं स्वीकृति के लिए तैयारी कर लें। स्थानांतरण नीति के अनुरूप 1 से 31 मई तक स्थानांतरण विभाग कर सकेंगे। मंत्रियों से भी कहा कि वे अपने-अपने विभाग में ट्रांसफर्स के लिए प्रॉपर प्लानिंग कर लें। यह प्रक्रिया विभागीय नीति और नियमों के अनुरूप संचालित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

नई तबादला नीति में ये प्रमुख बिन्दु हो सकते है शामिल

  • नई नीति से खासतौर पर उन कर्मचारियों को लाभ मिलेगा जो दो साल से ज्यादा समय से ट्रांसफर बैन के चलते एक ही जगह पर जमे हुए है।
  • नई तबादला नीति में एक निश्चित अवधि में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले होंगे, लेकिन किसी भी संवर्ग में 10 से 20% से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे।
  • प्रभार के जिले में अधिकार प्रभारी मंत्री का रहेगा।हालांकि इसमें सीमित संख्या में ही तबादले करने के अधिकार मंत्रियों को दिए जाएंगे।
  • तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के जिले के भीतर तबादले करने का अधिकार प्रभारी मंत्रियों तो राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन उपरांत तबादले होंगे।
  • गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।
  • आदिवासी क्षेत्रों में तबादला उसी स्थिति में होगा, जब वहां दूसरी पदस्थापना सुनिश्चित हो जाए।
  • नई नीति में ये भी तय किया गया है कि स्वेच्छा से ट्रांसफर लेने वाले कर्मचारियों को कोई भत्ता नहीं दिया जाएगा, लेकिन जिनका ट्रांसफर प्रशासनिक वजहों से किया जाएगा, उन्हें सरकार की ओर से भत्ते की सुविधा दी जाएगी।
  • ट्रांसफर की प्रक्रिया में मंत्रियों की भूमिका अहम होगी।अपने विभाग के कर्मचारियों का ट्रांसफर मंत्री कर सकेंगे।
  • गजेटेड अधिकारियों ( उच्च स्तर के प्रशासनिक या प्रबंधकीय पदों पर होते हैं) के ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी होगी।
  • इसमें उन अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले मुख्यमंत्री समन्वय की अनुमति के बिना नहीं होंगे, जिन्हें मुख्यमंत्री की नोटशीट के आधार पर दूसरे स्थान पर पदस्थ किया गया था।

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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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