संसद में आज राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर विशेष चर्चा की शुरुआत कर होने जा रही है। शीतकालीन सत्र के दौरान आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बहस की औपचारिक शुरुआत करेंगे। इस बहस के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। मंगलवार को राज्यसभा में भी इस विषय पर चर्चा होगी, जिसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे।
वंदे मातरम् गीत महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को रचा था और ये पहली बार उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में प्रकाशित हुआ। 1905 के बंग-भंग विरोधी आंदोलन में यह स्वराज का युद्ध-नाद बन गया था। ब्रिटिश सरकार ने इसे गाने पर प्रतिबंध तक लगा दिया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1896 के कलकत्ता में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में इसे सबसे पहले सार्वजनिक रूप से गाया था।
‘वंदे मातरम्’ पर आज लोकसभा में चर्चा
पीएम मोदी ‘वंदे मातरम्’ पर आज लोकसभा में बहस की शुरुआत करेंगे, जिसमें वे गीत के ऐतिहासिक महत्व, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और सांस्कृतिक प्रासंगिकता पर अपने विचार रखेंगे। लोकसभा में होने वाली इस विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ‘वंदे मातरम्’ के सांस्कृतिक प्रभाव, स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका और राष्ट्रवाद की भावना पर इसके योगदान को रेखांकित करेंगे। इस बहस में विपक्षी दलों के कई नेता भी शामिल होंगे। बहस के समापन से पहले रक्षा मंत्री भी अपने विचार रखेंगे।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने चर्चा को आवश्यक बताया
वंदे मातरम् पर चर्चा को लेकर बीजेपी नेता और सांसद उत्साहित हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि अगर भारत के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर में वंदे मातरम् पर चर्चा नहीं होगी, तो कहां होगी? कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग वंदे मातरम को मानते ही नहीं..वो बाबरी मस्जिद को मानते हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् के 150 साल हो रहे हैं ये भारत की विरासत है और इसपर चर्चा होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा ‘लोकतांत्रिक इतिहास में अविस्मरणीय दिन’
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वंदे मातरम् गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख घटक बना। इतने विशाल देश में अलग अलग जगह पर हो रहे अलग अलग तरह से हो रहे स्वतंत्रता संघर्ष में वंदे मातरम की बहुत बड़ी भूमिका थी। बाद में वंदे मातरम् देश के स्वतंत्रता सेनानियों के अभिवादन से लेकर अंतिम शब्द तक के रूप में उभरा। उन्होंने कहा कि बाद में वंदे मातरम् भी राजनीति का शिकार हुआ। आज लोकसभा में इसपर बहस होने वाली है और आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अविस्मरणीय दिन होगा।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा ‘कांग्रेस के हर कार्यक्रम की शुरुआत वंदे मातरम् से’
इस बहस को लेकर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सुबह का भूला अगर शाम हो घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ी गई आज़ादी की लड़ाई में वंदे मातरम् का बहुत अहम योगदान था। यह अलग बात है कि जब कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई चल रही थी, तब भाजपा का मातृ संगठन और उससे जुड़े संगठन अंग्रेज़ों की चापलूसी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब उस अपराधबोध से वो मुक्ति ले लें और आज अगर उस चर्चा में स्वीकार करें कि वंदे मातरम् आज़ादी की लड़ाई का प्रेरणास्रोत, मूलमंत्र था तो शायद उस समय के कुछ पाप धुल जाएं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सेवादल का कार्यक्रम ही वंदे मातरम् से शुरु होता है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन भी वंदे मातरम् से ही शुरु होता है।
आरजेडी नेता ने कहा ‘मूल्यांकन की आवश्यकता’
आरजेडी नेता मनोज झा ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि वंदे मातरम् पर बहस को लेकर कहा कि जब हम इस तरह की चर्चा करें तो वर्तमान का मूल्यांकन भी किया जाए। क्या वंदे मातरम् में उद्धृत राष्ट्रवाद आज बहिष्कार के राष्ट्रवाद में है या समावेशी राष्ट्रवाद में। हमारे समक्ष जो चुनौतियां हैं उसे एड्रेस करने में हम कितना सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेलिब्रेशन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू होता है रिफ्लेक्शन और उसमें हम अक्सर चूक जाते हैं। हमें मूल्यांकन करना होगा कि हम कहां थे और कहां पहुंचे। आरजेडी नेता ने कहा कि हमें सोचना होगा कि ये गौरव का क्षण है या कोर्स करेक्शन का क्षण है।





