जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में अब मध्य प्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 24 (Madhya Pradesh Civil Services Pension Rule 24) को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। दरअसल इसके लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) में याचिका प्रस्तुत की गई है। जिसमें MP सिविल सेवा पेंशन नियम 24 (MP Civil Services Pension Rule 24) को निरस्त करने की मांग की गई है।
इस मामले में याचिका में कहा गया है कि कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार नहीं किए जाने पर अन्य सामाजिक अपराध के मामले में उसकी Pension नहीं रोकी जानी चाहिए लेकिन ऐसा होने की दृष्टि में अब यह नियम संवैधानिक वैधता के कटघरे में खड़ा हो गया है। यह याचिका मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और पुरूषेंद्र कुमार कौरव की युगल पीठ के सामने रखा गया। इस नियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
बता दें कि सिंगरौली के सेवानिवृत्त शिक्षक आदित्य पांडे द्वारा यह याचिका दायर की गई है। जिसके लिए उनकी तरफ से अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव द्वारा पक्ष रखा गया। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से कहा गया है कि याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त के पूर्व 498a के मामले में सजा होने पर खास कर दिया गया था।
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वहीं मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 24 सेवा से बर्खास्त होने पर पूरी सेवा अवधि जब्त होने का प्रावधान था। जिसके आधार पर उसे पेंशन देने से इनकार किया जा सकता था। जबकि पेंशन नियम 81 और 82 में सेवानिवृत्त कर्मचारी पर गंभीर आपराधिक प्रकरण में सजा होने यह गंभीर दूर आचरण की हालत में पेंशन अधिकारी को अधिकार होता है कि वह पेंशनर्स की पूरी आंशिक राशि को समय अवधि यह हमेशा के लिए जब्त कर सकते हैं।
वहीं नियम के तहत पेंशनर्स को न्यूनतम ₹3025 की पेंशन से कम पेंशन की अदायगी नहीं की जा सकेगी। बावजूद इसके दहेज़ प्रथा में बर्खास्त होने पर उन्हें पेंशन देने से इनकार कर दिया गया और उनकी पेंशन रोक दी गई। इसके अलावा भी मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 24 में सामाजिक अपराध के मामले में उसकी पेंशन नहीं रखने का प्रावधान है। वही याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने दलील देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की बर्खास्त सेवा के दौरान उनके सेवाकाल प्रकरण में आचरण के आधार पर उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया है। इसलिए सेवा के दौरान आचरण से इसका कोई संबंध नहीं है। जिसके कारण नियम 24 संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के खिलाफ है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए। साथ ही याचिकाकर्ता की पेंशन राशि के भुगतान के आदेश पारित करने की भी मांग की गई है। वहीं इस मामले में जल्द अगली सुनवाई की जाएगी।