यहां 6 महीने बाद कब्र से निकाला गया बिशप का शव, सड़क दुर्घटना में हुई थी मौत

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ग्वालियर । ग्वालियर धर्मप्रांत के रोमन कैथोलिक शाखा के धर्माध्यक्ष यानि बिशप डॉ थॉमस थेन्नाट की मौत के 178 दिन बाद उनके शव को बड़ा गांव स्थित कब्रिस्तान से निकाला गया। ये कार्रवाई डॉली टेरेसा की कोर्ट में दायर याचिका पर JFMC पोहरी के आदेश पर की गई।

जानकारी के अनुसार बिशप थॉमस 14 दिसंबर 2018 को श्योपुर के सेंट प्यास स्कूल के एनुअल फंक्शन में बतौर मुख्य अतिथि गए थे। रात में वे कार से ग्वालियर लौट रहे थे इसी दौरान श्योपुर-पोहरी के बीच उनकी कार पलट गई इस दुर्घटना में उनको सिर और छाती में गंभीर चोट आई और उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद शव को 18 दिसंबर को बड़ा गांव स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया । लेकिन बिशप थॉमस की मौत के बाद ईसाई समाज की डॉली टेरेसा ने एडवोकेट सुरेश अग्रवाल के माध्यम से कोर्ट में याचिका लगाई जिसके बाद JFMC पोहरी निधि नीलेश श्रीवास्तव के माध्यम से याचिका दायर की। याचिका में संदेह जताया गया कि बिशप की मौत सामान्य नहीं है क्योंकि ऐसा कैसे संभव है कि कार में सिर्फ बिशप थॉमस को ही चोट लगी जबकि उनके साथ ड्राइवर जय थॉमस , रेक्टर फादर जोसेफ एम और डिकेन लुर्थ भी थे। लेकिन किसी को चोट नहीं आई।कोर्ट के आदेश पर बिशप के शव को निकाला गया और फिर मेडिकल कॉलेज के  फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के डॉ चंद्रशेखर वाघमारे, डॉ एमएल माहौर और डॉ निखिल अग्रवाल ने पोस्ट मार्टम किया शव का काफी हिस्सा सुरक्षित था जिसमें बिशप थॉमस के सिर और छाती में चोट मिली । लेकिन चोट कैसे लगी ये पता नहीं लगा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट पोहरी कोर्ट में 17 जून को प्रस्तुत की जाएगी। उधर सेंट पॉल चर्च के प्रवक्ता एबल एक्स्ट्रोस ने डॉली के आरोपों को निराधार बताया है उनका कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब बिशप के शव को दफ़नाने के बाद बाहर निकाला गया हो।


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