ग्वालियर। अतुल सक्सेना।
14 अप्रैल तक घोषित लॉक डाउन में सबसे अधिक मुसीबत उस वर्ग के सामने है जो रोज कमाता है और रोज खाता है। ऐसे में मददगार और दानदाता बढ़ चढ़कर सामने आ रहे हैं। ये बात अलग है कि इन दानदाताओं की ज्यादातर तस्वीर और वीडियो ऐसी होती हैं जो उनके काम और उनका प्रचार प्रसार करती दिखाई देती हैं लेकिन इस बीच ग्वालियर से एक दानदाता की वीडियो वायरल हो रही है जिसमें सिर्फ दानदाता की आवाज और जरूरतमंद को पहुँच रही मदद दिखाई दे रही है।
सभी धर्मों में दान का बखान करना वर्जित बताया गया है । दान के बारे में हिंदू धर्म के वेद और शास्त्रों में यहाँ तक कहा गया है कि सही दान वो होता है कि एक हाथ से दिया जाए और दूसरे हाथ को पता भी नहीं चले। अर्थात दान करने वाले ने यदि किसी को दी ही मदद का बखान किया यानि प्रचार प्रसार किया तो वो दान दान नहीं रह जाता लेकिन आज के दिखावे वाले युग में लोग हमारी सनातन परंपरा भूलते जा रहे हैं। कोरोना महामारी में प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद जरूरतमंदों के लिए देश भर से मदद के हाथ तो बढ़े लेकिन जो तस्वीर और वीडियो सामने आ रहे हैं उनमें उस गरीब या जरूरतमंद के लिए मदद की भावना की जगह खुद का प्रचार प्रसार अधिक दिखाई दे रहा है। मसलन एक तस्वीर पिछले दिनों वायरल हुई जिसमें एक केले को छः लोग एक मरीज को दे रहे हैं, एक वीडियो में नेताजी खाने का पैकेट गरीब को दे रहे हैं और फोटो खिंचा रहे है। ये तो दो उदाहरण मात्र है ऐसे सेंकडो उदाहरण इस समय देखने को मिल रहे है जो खुद की पीआरशिप का बड़ा उदाहरण बन रहे है।
लेकिन इसी बीच ग्वालियर की एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें एक व्यक्ति या यूँ कहें दानदाता कार में बैठा हुआ सड़क पर जा रहे एक व्यक्ति से कार का शीशा नीचे कर पूछता है कहाँ जा रहे हो, सड़क पर गोद में बच्चे को लिए जा रहा मजदूर कहता है झांसी, इतना सुनकर कार में बैठा व्यक्ति चौंक कर पूछता है पैदल? मजदूर कहता है मेला ग्राउंड से भी मिलेगी लेकिन पैसे नहीं है? इतना सुनते ही कार में बैठा 500- 500 रुपये केदो नोट निकालता है एक मजदूर को देता है और दूसरा उसकी पत्नी को देने के लिए कहता है। इसके बाद ये दानदाता कुछ और रुपये निकालता है और मजदूर को देकर बच्चों का ध्यान रखने के लिए कहता है। इस वीडियो की विशेषता ये है कि इसमें सिर्फ मदद और जिसे मदद दी जा रही है वही दिखाई दे रहे हैं। मदद कौन कर रहा है ये दिखाई नहीं दे रहा। अर्थात आज के इस दिखावटी दौर में इस तरह का वीडियो साबित करता है कि कुछ लोग अभी है जो हमारी सनातन परंपरा में बताये गए दान के महत्व को समझता है।