पूरा देश आज संविधान दिवस मना रहा है और ग्वालियर के लिए ये गर्व की बात है कि जिस संविधान को भारत के नागरिक सर्वोपरि मानते हैं उसकी मूल प्रति मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में मौजूद है, पिछले करीब 70 वर्षों से इसे सहेज कर रखा गया है, विशेष अवसरों जैसे राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त, 26 जनवरी पर इसे लोगों को दिखाने के लिए प्रदर्शित किया जाता है इसी क्रम में आज संविधान दिवस के विशेष अवसर पर इसे प्रदर्शन के लिए रखा गया।
ऐतिहासिक शहर ग्वालियर के शासकीय केंद्रीय पुस्तकालय में भारत के संविधान की मूल प्रति मौजूद है, आज संविधान दिवस के विशेष अवसर पर पुस्तकालय प्रबंधन ने इसे लोगों को दिखाने के लिए प्रदर्शित किया, लकड़ी और कांच के बने बॉक्स में ताले में सुरक्षित संविधान की हस्त लिखित मूल प्रति को देखने के लिए आज युवाओं की भारी भीड़ उमड़ी, पुस्तकालय प्रबंधन की तरफ से इस अवसर पर संविधान प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें देश की आजादी से संबंधित अन्य पुस्तकें केन्द्रीय पुस्तकालय में शहर के आम नागरिकों के अवलोकन के लिये रखी गईं।
हस्त लिखित प्रति पर सभी 287 सदस्यों के दस्तखत
पुस्तकालय के सहायक अधीक्षक, राकेश कुमार के मुताबिक संविधान की ये प्रति 1956 में ग्वालियर की सेन्ट्रल लाइब्रेरी में आई थी ये हस्त लिखित है, उन्होंने बताया कि इस प्रति पर संविधान सभा के सभी 287 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, राकेश कुमार के मुताबिक 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों के अलावा 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर इसे जनता को दिखाने के लिए प्रदर्शित किया जाता है उन्होंने बताया कि इसका डिजिटल संस्करण भी उपलब्ध है जिसमें लोग इसे पढ़ सकते हैं।
सैकड़ों लोगों ने नजदीक से देखी संविधान की मूल प्रति
महाराज बाड़ा स्थित सेन्ट्रल लाइब्रेरी में संविधान की मूल प्रति देखने के लिये बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शहर के नागरिक पहुँचे। लगभग 900 विद्यार्थियों व नागरिकों ने संविधान की मूल प्रति एवं डिजिटल प्रति को 65 इंच की स्क्रीन पर देखा। आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 से 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है और तभी से इस विशेष दिन पर लोग संविधान की उद्देशिका को पढ़ते हैं, संविधान के बारे में और ज्यादा जानने का प्रयास करते हैं जिससे वे अपने अधिकार और कर्तव्यों को समझ सकें।
अतुल सक्सेना की रिपोर्ट





