स्वच्छता में फिसला ग्वालियर : साल भर आरोप मढ़ते रहे जिम्मेदार, सफाई में नहीं दिखाई रूचि

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ग्वालियर।  केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बुधवार को स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणामों की घोषणा  दी। 4237 शहरों की सूची में जहाँ इंदौर ने हैट्रिक लगाई और लगातार तीसरी बार पहले स्थान पर काबिज रहा वहीँ भोपाल सबसे साफ़ राजधानी की कैटेगरी में टॉप पर रहा। हालाँकि साफ़ शहरों की सूची में भोपाल खिसककर 19 वे स्थान पर पहुँच गया। उधर छोटे शहरों वाली सूची में महाकाल की नगरी  उज्जैन ने पहला स्थान हासिल किया।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदेश को अलग अलग कैटेगरी में  19 पुरस्कार दिए लेकिन इस बार ग्वालियर के हाथ कुछ नहीं आया। बड़ी बात ये है कि ग्वालियर अपनी पिछली रैंकिंग से 31 पायदान खिसककर 59 वे स्थान पर पहुँच गया। जिसने जनप्रतिनिधियों और सरकारी अफसरों के दावों की पोल खोल दी है।  

स्वच्छता को लेकर बीते साल ग्वालियर में बड़ी बड़ी बातें की गईं। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के अलावा सरकारी मुलाजिमों ने दावे किये गए कि शहर की 2018  की रैंकिंग में सुधार होगा और ये 28 वें स्थान को पछाड़कर इससे ऊपर की तरफ जाएगी लेकिन हुआ उलटा।  2019  की सूची में ग्वालियर 59 वें स्थान पर पहुँच गया।  गौरतलब है कि ये स्थिति तब बनी जब पिछले साल की तुलना में स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान ग्वालियर में तीन महीने के लिए एक हजार सफाई कर्मचारी अतिरिक्त लगाए गए, पांच करोड़ रुपए ज्यादा खर्च किये गए यानि  2018 में ग्वालियर में सफाई पर कुल 24 करोड़ रुपये खर्च किये गए लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। स्वच्छता के मामले में 59 वें स्थान पर आने से ये सन्देश जाता  है कि साफ़ सफाई को लेकर ना तो ग्वालियर  जागरूक है, न जनप्रतिनिधि और ना ही यहाँ पदस्थ सरकारी अफसर।  निश्चित ही  इस सन्देश को अच्छा नहीं कहा जा सकता।  


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