ग्वालियर। जीवाजी विश्व विद्यालय से पीएचडी करने वाले कश्मीरी छात्रों के जम्मू कश्मीर में नौकरी करने का मामला सामने आने के बाद जीवाजी विश्व विद्यालय प्रबंधन अलर्ट मोड पर है। इसे देखते हुए विश्व विद्यालय प्रबंधन ने एम् फिल करने वाले तीन कश्मीरी छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया है। बताया गया है कि ये छात्र प्रवेश लेने के बाद से ही गायब थे।
जीवाजी विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान अध्ययनशाला से एम् फिल फर्स्ट सेम करने वाले सुहेल फारुख लोन, समीउल्लाह राठेर और इतिहास विभाग से एम् फिल करने वाले अशफाक का नामांकन विश्व विद्यालय प्रबंधन से शिक्षकों की अनुशंसा पर रोक दिया है। नामांकन रोकने की वजह ये बताई गई है कि ये तीनों छात्र महीनों तक कक्षाओं में आये ही नहीं और अब परीक्षा नजदीक आते ही नामांकन फार्म अग्रेषित कराने आ गए। जब ये छात्र शिक्षकों के पास पहुंचे तो उन्होंने उनकी कम उपस्थिति का हवाला देते हुए उनका नामांकन फार्म अग्रेषित करने से इंकार कर दिया। नामांकन फार्म जनरेट नहीं होने से ये छात्र परीक्षा नहीं दे सकेंगे।
उधर शिक्षकों का कहना है कि वे पहले ही बिना किसी वजह कश्मीरी छात्रों के कारण परेशानी झेल रहे हैं। गौरतलब है कि 2014 में कश्मीरी छात्र एजाज अहमद, सजीद अहमद बट्ट, हिलाल अहमद डार , मुदस्सिर गनी, मंजूर अहमद बानी, वसरत अली, तजमूल इस्लाम मलिक, मीर मुसादिक मकबूल ने जीवाजी विश्व विद्यालय से पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास की थी। ये छात्र कोर्स वर्क के केंद्र एमएलबी कॉलेज में क्लास अटेंड करने नहीं पहुंचे। बाद में इन छात्रों की कोर्स वर्क की क्लास जीवाजी विश्व विद्यालय राजनीति विज्ञान अध्ययनशाला में लगवाईं गईं लेकिन इन छात्रों ने वहां भी क्लास अटेंड नहीं की इस बीच मालूम चला कि ये छात्र जम्मू कश्मीर में नौकरी कर रहे हैं। जिसके प्रमाण भी विश्व विद्यालय को मिल गए। मामला उजागर होने के बाद छात्रों का कोर्स वर्क निरस्त करने के बाद सेंटर प्रभारी को भी नोटिस जारी हो गए थे इसलिए कश्मीरी छात्रों के मामले में कोई भी शिक्षक रिस्क नहीं लेना चाहता।