न एम्बुलेंस आई न डायल 100, फ़रिश्ते ने पहुंचाया अस्पताल, लेकिन नहीं बची जान

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ग्वालियर। संजीदगी, इंसानियत, मानवता, मदद जैसे शब्द आमतौर पर नेताओं के भाषणों में और दूसरों पर ज्ञान थोपने वाले लोगों के मुंह से अक्सर सुनने को मिलते है, पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग भी पीड़ित और परेशान लोगों की मदद की शपथ लेते हैं लेकिन जब जरुरत पड़ती है तो मुंह फेर लेते हैं । ग्वालियर में ऐसी ही एक घटना हुई जिसमें एक बालक की जान चली गई। 

आज भी इस दुनिया में फरिश्ते है


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