ग्वालियर। कभी ग्वालियर शहर की लाइफ़ लाइन रही स्वर्ण रेखा नदी की तक़दीर संवरने वाली है। यदि अधिकारियों की इच्छाशक्ति और नीयत ठीक रही तो गंदे नाले में तब्दील हो चुकी स्वर्ण रेखा नदी अपने मूल स्वरुप में जल्दी लौटेगी। इसके लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत डीपीआर तैयार की गई है उम्मीद की जा रही है कि जुलाई अंत तक टेंडर जारी कर दिए जायेंगे।
शहर के बीच से बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी का निर्माण तत्कालीन सिंधिया शासकों ने शहर की सुन्दरता बढ़ाने के लिए किया था। इसमें बहता स्वच्छ जल इसकी सुन्दरता को और बढ़ाता था । लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते ये साफ़ पानी की नदी धीरे धीरे गंदे नाले में तब्दील हो गई । पिछले कुछ वर्षों में इसमें साफ़ पानी बहाने के कई बार प्रयास हुए लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद अधिकारी साफ पानी नहीं बहा पाए। अब एक बार स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी बनाने की कवायद शुरू हो गई है। साफ़ पानी बहाने के साथ साथ नदी का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इसे शामिल किया गया है। स्मार्ट सिटी के CEO महीप तेजस्वी के मुताबिक इस काम के लिए जल संसाधन, नगर निगम के साथ ही पर्यटन विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है। पूरे प्रोजेक्ट पर 120 करोड़ से 140 करोड़ के बीच खर्च आएगा। गौरतलब है कि इससे पहले जल संसाधन विभाग स्वर्ण रेखा में साफ़ पानी बहाने के नाम पर 80 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुका है।
4 बड़ी चुनौतियों पर करना होगा काम
CEO महीप तेजस्वी के मुताबिक इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत चार बड़ी चुनौतियों पर काम करना होगा। इसमें पानी लाना, नदी में कचरा डालने से रोकना, सीवर का पानी रोकना तथा आसपास से अतिक्रमण हटाना शामिल हैं ।
कैसे लाया जा सकता है साफ़ पानी
स्वर्ण रेखा में साफ पानी लाने के दो विकल्प हैं पहला यह कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से फिल्टर पानी नदी में लाना और दूसरा हनुमान बांध, वीरपुर बांध, मामा का बांध, रायपुर बांधों से अतिक्रमण हटाना और उनका संरक्षण करना। यदि प्रशासनिक अमला ये सब करने में सफल हो जाता है तो ऐसा होने पर साफ पानी लाया जा सकता है। सीईओ तेजस्वी ने कहा कि सभी बाधाएं दूर होने पर इसका सौंदर्यीकरण किया जा सकेगा।