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Wed, Dec 17, 2025

हरियाणा कांग्रेस में बड़ा बदलाव- 32 जिलों को मिले नए अध्यक्ष, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर जोर

Written by:Vijay Choudhary
Published:
32 नए जिला अध्यक्षों में संतोष बेनीवाल अकेली महिला हैं, जिन्हें सिरसा जिला कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
हरियाणा कांग्रेस में बड़ा बदलाव- 32 जिलों को मिले नए अध्यक्ष, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर जोर

हरियाणा कांग्रेस

हरियाणा कांग्रेस ने राज्य संगठन में लंबे समय से लंबित बड़े बदलाव का ऐलान करते हुए 32 जिलों के नए जिला अध्यक्षों की सूची जारी कर दी। यह कदम पार्टी के “संगठन पुनर्जीवन अभियान” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कमजोर पड़ चुके जिलास्तरीय ढांचे को नई ऊर्जा और मजबूती देना है।

11 साल बाद जिला स्तर पर फेरबदल

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा में कांग्रेस ने पिछले 11 सालों से जिला अध्यक्षों में व्यापक बदलाव नहीं किया था। संगठन की जड़ों को मजबूत करने के लिए इस बार जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा गया। जाट, ब्राह्मण, राजपूत, बनिया, पंजाबी और पिछड़े वर्ग के नेताओं को संतुलित तरीके से जगह देकर पार्टी ने हर वर्ग तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश की है।

जून से शुरू हुई प्रक्रिया

इस बदलाव की प्रक्रिया जून 2025 में शुरू हुई थी, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) और प्रदेश कांग्रेस समिति के पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की थी। इसके बाद पार्टी के नियुक्त पर्यवेक्षकों ने सभी जिलों का दौरा किया, स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय ली और रिपोर्ट तैयार की। इन रिपोर्टों पर वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी चर्चा के बाद मंगलवार शाम सूची को अंतिम रूप दिया गया और जारी कर दिया गया।

के.सी. वेणुगोपाल ने किया ऐलान

कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने हरियाणा के जिला कांग्रेस समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि- “ये बदलाव संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी देकर आगे लाने के लिए किए गए हैं।”

हारने वाले उम्मीदवारों पर भरोसा

दिलचस्प बात यह है कि पार्टी ने 2024 विधानसभा चुनाव में हार चुके कुछ नेताओं को भी जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। इनमें पारविंदर पारी, अनिरुद्ध चौधरी और वर्धन यादव के नाम प्रमुख हैं। इसे पार्टी का अपने पुराने, अनुभवी और सक्रिय चेहरों पर भरोसा बनाए रखने का संकेत माना जा रहा है।

महिला प्रतिनिधित्व में कमी

32 नए जिला अध्यक्षों में संतोष बेनीवाल अकेली महिला हैं, जिन्हें सिरसा जिला कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी का कहना है कि आगे महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। हालांकि, वर्तमान सूची में महिलाओं की कम संख्या को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा हो रही है।

किसे मिली किस जिले की जिम्मेदारी?

अंबाला कैंट – परविंदर पारी
अंबाला सिटी – पवन अग्रवाल
अंबाला ग्रामीण – दुष्यंत चौहान
भिवानी ग्रामीण – अनिरुद्ध चौधरी
भिवानी शहरी – प्रदीप गुलिया
चरखी दादरी – सुशील धानक
फरीदाबाद – बलजीत कौशिक
फतेहाबाद – अरविंद शर्मा
गुरुग्राम ग्रामीण – वर्धन यादव
गुरुग्राम शहरी – पंकज डावर
हिसार ग्रामीण – बृजलाल खोवल
हिसार शहरी – बजरंग दास गर्ग
झज्जर – संजय यादव
जींद – ऋषि पाल
कैथल – रामचंदर गुज्जर
करनाल ग्रामीण – राजेश वैद
करनाल शहरी – पराग गाबा
कुरुक्षेत्र – मेवा सिंह
महेंद्रगढ़ – सत्यवीर यादव
मेवात (नूंह) – शाहिदा खान
पलवल – नेत्रपाल अधाना
पंचकुला – संजय चौहान
पानीपत ग्रामीण – रमेश मलिक
रेवाड़ी ग्रामीण – सुभाष चंद चावड़ी
रेवाड़ी शहरी – प्रवीण चौधरी
रोहतक ग्रामीण – बलवान सिंह रंगा
रोहतक शहरी – कुलदीप सिंह
सिरसा – संतोष बेनीवाल
सोनीपत ग्रामीण – संजीव कुमार दहिया
सोनीपत शहरी – कमल दीवान
यमुनानगर ग्रामीण – नरपाल सिंह
यमुनानगर शहरी – देवेंद्र सिंह

संगठन के लिए चुनौती और मौका

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये नियुक्तियां हरियाणा कांग्रेस के लिए चुनावी तैयारी का अहम हिस्सा हैं। पार्टी का इरादा है कि नई टीम के जरिए बूथ स्तर तक सक्रियता बढ़ाई जाए, खासकर उन जिलों में जहां पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा है। इन नए अध्यक्षों के सामने दोहरी चुनौती होगी – एक ओर उन्हें अपने जिले में संगठन को सक्रिय और एकजुट करना होगा, वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी भाजपा-जेजेपी गठबंधन के खिलाफ मजबूत चुनावी लड़ाई की तैयारी भी करनी होगी।

2029 पर नजर

हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा से बड़ा फायदा नहीं हुआ, लेकिन पार्टी का मानना है कि अगर जिलास्तरीय संगठन को मजबूत किया गया, तो 2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नतीजे बदल सकते हैं। कांग्रेस का यह कदम साफ संकेत देता है कि पार्टी आने वाले वर्षों में सिर्फ चुनावी रैलियों और बड़े चेहरों पर निर्भर रहने की बजाय जमीनी स्तर पर नेटवर्क मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।