हरियाणा सरकार की ओर से विकास बराला को सहायक महाधिवक्ता बनाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। 2017 में स्टॉकिंग और अपहरण की कोशिश के आरोपों से घिरे विकास पर मामला अभी कोर्ट में लंबित है। सरकार की इस नियुक्ति की आलोचना हो रही है।
विवादित इतिहास और राजनीतिक जुड़ाव
विकास बराला बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे हैं। 2017 में वर्णिका कुंडू ने उन पर पीछा करने और अपहरण की कोशिश का आरोप लगाया था। घटना ने उस समय देश भर में बहस छेड़ दी थी। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होनी है।
घटना और कानूनी कार्यवाही का विवरण
वर्णिका कुंडू की शिकायत के बाद बराला को गिरफ्तार किया गया और फिर जमानत पर रिहा कर दिया गया। बाद में IPC की धारा 365 और 511 के तहत उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया। 2018 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी।
बराला का बचाव और प्रतिक्रिया
जमानत मिलने के बाद विकास बराला ने खुद को निर्दोष बताया था। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने परिवार और ईश्वर में अटूट विश्वास है, और उन्होंने जेल में बिताए पांच महीने इसी सहारे निकाले। उन्होंने किसी भी दबाव से इनकार किया था।
सरकार की चुप्पी और विपक्ष की आलोचना
बराला की नियुक्ति के बाद राज्य सरकार पर नैतिकता और संवेदनशीलता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दल सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और नियुक्ति को न्याय प्रक्रिया का अपमान बता रहे हैं। सरकार ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।





