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Sat, Dec 20, 2025

हरियाणा के नए राज्यपाल बने प्रो. असीम कुमार घोष, आज राजभवन में होंगे शपथ ग्रहण समारोह

Written by:Deepak Kumar
Published:
हरियाणा के नए राज्यपाल बने प्रो. असीम कुमार घोष, आज राजभवन में होंगे शपथ ग्रहण समारोह

हरियाणा के नवनियुक्त राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष आज यानी सोमवार को पद की शपथ लेंगे। यह शपथ ग्रहण समारोह चंडीगढ़ स्थित हरियाणा राजभवन में दोपहर 1 बजे शुरू होगा। असीम घोष राज्य के 19वें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वे बंडारू दत्तात्रेय की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है।

इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, राज्य सरकार के सभी मंत्री, विधायक और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राजभवन में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं।

शनिवार को पहुंचे चंडीगढ़

प्रो. असीम कुमार घोष शनिवार को ही चंडीगढ़ पहुंच गए थे। चंडीगढ़ पहुंचने पर मुख्यमंत्री नायब सैनी और पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने मीडिया से भी संक्षिप्त बातचीत की।

हरियाणा की जनता के लिए काम करना प्राथमिकता

मीडिया से बातचीत में असीम घोष ने कहा, “हरियाणा के महान लोगों के लिए काम करना मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी। मैं मुख्यमंत्री और प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करूंगा, जिससे आमजन को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके।” उन्होंने कहा कि वे राज्य में विकास कार्यों को गति देने की दिशा में निरंतर प्रयास करेंगे।

बंगाल से हरियाणा तक का सफर

असीम कुमार घोष मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के रहने वाले हैं। वे शिक्षाविद् होने के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। संगठन और प्रशासन दोनों क्षेत्रों का अच्छा अनुभव उन्हें एक कुशल राज्यपाल बना सकता है।

शिक्षा और समाजसेवा में लंबा अनुभव

प्रोफेसर घोष को शिक्षा, समाजसेवा और प्रशासनिक कार्यों में लंबा अनुभव है। उनके राज्यपाल बनने से उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में शैक्षणिक सुधारों और प्रशासनिक अनुशासन को नई दिशा मिल सकती है।

राज्य में नई ऊर्जा का संचार

असीम घोष के राज्यपाल बनने के बाद हरियाणा में प्रशासनिक स्तर पर नई ऊर्जा और जोश देखने को मिल सकता है। उनके नेतृत्व में राज्य में समन्वयपूर्ण विकास और जनकल्याण के कार्यों को प्राथमिकता दी जा सकती है।