रोहतक-जींद रोड पर चांदी गांव के पास बनाए गए नए टोल प्लाजा पर लाखनमाजरा ब्लॉक के 13 गांवों के सरपंचों और ग्रामीणों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि वे टोल माफी के दायरे में आते हैं, लेकिन फिर भी टोल कर्मचारी उनसे जबरदस्ती शुल्क वसूल रहे हैं।
गांवों के सरपंचों ने इस मुद्दे को लेकर रोहतक के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) धर्मेंद्र सिंह से मुलाकात की और मांग की कि इन गांवों को टोल से मुक्त किया जाए। उन्होंने बताया कि कई बार टोल अधिकारियों से बातचीत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
टोल माफी के दायरे में हैं ये गांव
सरपंचों ने बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार, टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों को टोल से छूट मिलती है। लाखनमाजरा ब्लॉक के नांदल, खरेंटी, चांदी, इंदरगढ़, भगवतीपुर, घरावठी, चिड़ी और अन्य गांव सिर्फ 4 से 8 किलोमीटर के दायरे में हैं।
इसके बावजूद इन गांवों के लोगों से जबरदस्ती टोल वसूला जा रहा है। टोल प्लाजा के शुरू होने के बाद से ग्रामीणों को रोज़ाना खेतों और शहर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
टोल वसूली बंद नहीं हुई तो होगा धरना
सरपंच संगठन के प्रधान जगबीर पहलवान ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही टोल माफ नहीं किया गया तो ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। उनका कहना है कि यह टोल न सिर्फ आर्थिक बोझ है, बल्कि गांव के लोगों को उनके ही खेतों तक पहुंचने से रोक रहा है।
गांव वालों का यह भी कहना है कि जब टोल अधिकारियों से बातचीत की जाती है तो वे बार-बार “उच्च अधिकारियों से बात करें” कहकर मामला टाल देते हैं। अब गांव के लोग चुप नहीं बैठेंगे और अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
खेतों तक पहुंचना भी हुआ मुश्किल
सरपंचों ने बताया कि इस टोल प्लाजा की वजह से न केवल रोजमर्रा की आवाजाही मुश्किल हो गई है, बल्कि गांव वालों के खेतों तक पहुंचने का रास्ता भी प्रभावित हुआ है। खेत, अस्पताल, स्कूल या बाजार जाने के लिए रोज़ाना टोल देना पड़ रहा है, जो गांव के सामान्य व्यक्ति के लिए बोझ बन चुका है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि स्थानीय पास जल्द से जल्द उपलब्ध कराए जाएं या इन गांवों को पूरी तरह से टोल फ्री किया जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मजबूर होकर धरना देंगे।





